कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हर दिन होगा संविधान की प्रस्तावना का पाठ

बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों और शिक्षकों के लिए प्रार्थना असेंबली के दौरान संविधान की प्रस्तावना को जोर से पढ़ना अनिवार्य करने का फैसला किया है. राज्य के समाज कल्याण मंत्री सी महादेवप्पा ने कहा, “बच्चों को उनकी संवैधानिक जिम्मेदारियों के पीछे के आदर्शों और सिद्धांतों से अवगत कराने के लिए संविधान की प्रस्तावना पढ़ना अनिवार्य कर दिया गया है.” बीते शुक्रवार को कर्नाटक सरकार ने अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया था.

अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस के अवसर पर विधान सौध के नक्शेकदम पर प्रस्तावना पढ़ने से जुड़े एक कार्यक्रम में बोलते हुए, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि उनकी सरकार अस्तित्व में आने के बाद से छात्रों के बीच लोकतंत्र, संविधान और इसकी प्रस्तावना के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए विशेष प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा, “यदि संविधान जीवित रहेगा, तो लोकतंत्र जीवित रहेगा. यदि लोकतंत्र जीवित रहेगा, तो हम सभी जीवित रहेंगे. इसलिए, हमारे संविधान को पढ़ना, समझना और उसकी रक्षा करना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है. लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए संविधान सर्वोपरि है.”


उन्होंने कहा, “यह समय की मांग है, क्योंकि कुछ ताकतों द्वारा संविधान को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है.” सिद्धारमैया ने दावा किया कि “संविधान विरोधी ताकतें” देश में मनुस्मृति को लागू करने की साजिश कर रही हैं और सभी को इसके बारे में “जागरूक और सावधान” रहना चाहिए. उन्होंने कहा, “संविधान को नष्ट करने और मनुस्मृति को लागू करने का मतलब 90 फीसदी आबादी को गुलामी में धकेलना होगा.”

इस कार्यक्रम में प्रस्तावना पढ़ने के लिए भारत और विदेश से लगभग 2.3 करोड़ लोग कर्नाटक के मुख्यमंत्री के साथ शामिल हुए.सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि हमारी सरकार ने संविधान के समान समाज और धर्मनिरपेक्ष सिद्धात की आकांक्षाओं के अनुरूप सभी की समृद्धि के लिए कार्यक्रम लागू किए हैं. सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार व अन्य मंत्री और विधायकों की मौजूदगी में विधान सौध में संविधान दिवस मनाया गया.