ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने का रास्ता फिलहाल संभव नहीं, एयर टर्मिनल के विस्तार की अधिक संभावनायें

ग्वालियर. ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट को लेकर जिला प्रशासन अब मानने लगा है कि इसे लेकर शहर में जमीन मिल पाना बहुत मुश्किल है। साडा एरिया, भितरवार, डबरा, घाटीगांव से लेकर मुरैना तक जाकर इसके लिये जमीन देखी गयी है लेकिन कहीं वन भूमि मिली तो कहीं पर एयरफोर्स का प्रतिबंधित 20 किमी का दायरा बीच में आ रहा है। प्रशासनिक अधिकारी अब बोलने लगे हैं कि ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट को ग्वालियर में बनाने के विचार पर अभी और रिसर्च करने की आवश्यकता है। हालांकि वर्तमान एयरपोर्ट के साथ ही एयर टर्मिनल का विस्तार कर पाना अधिक संभवन नजर आ रहा है।

पिछले दिनों दिल्ली से आयी केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय की 5 सदस्यीय टीम ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमें स्पष्ट किया गया है कि ग्वालियर के किसी भी इलको में ऐसी कोई जमीन नहीं है जो एयरफोर्स के प्रतिबंधात्मक नियमों या उनके फ्लाइंग एरिया के 20 किमी एरिया और उसके बाद के प्रतिबंधात्मक एरिया से बाहर हो। वहीं, जो भी जमीनें देखी। उनमें से अधिकतर वन भूमि की जमीन है। डबरा में भी जमीन का विवाद न्यायालय में विचाराधीन होने से यहां भी एयरपोर्ट का निर्माण मुश्किल नजर आ रहा है। अब प्रशासनिक अधिकारियों को भी ऐसा नजर आने लगा है कि केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय भिण्ड रोड स्थित केन्द्रीय आलू अनुसंधान केन्द्र की जमीन पर ही एयर टर्मिनल बनाने और वर्तमान एयरपोर्ट के विस्तार का बोल सकता है। इसलिये जिला प्रशासन अब आलू अनुसंधान केन्द्र को शिफ्ट करने या उसका कुछ हिस्सा लेने पर विचार कर रहा हैं।

रिसर्च की जरूरत है

ग्राउंड पर जितनी वर्किंग की है, उसके बाद ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के निर्माण को लेकर अभी और रिसर्च करने की जरूरत है। वहीं अब हम लोग वर्तमान एयरपोर्ट का विस्तार करने और नया एयर टर्मिनल बनाने के लिए केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र की जमीन को लेकर मंथन कर रहे हैं। यह हमें प्रैक्टिकली ज्यादा संभव नजर आ रहा है।