डेढ़ महीने से नहीं मिली दिल्ली सरकार से मदद, कर्ज में डूबा पीड़ित डॉक्टर अमित गुप्ता का परिवार

नई दिल्ली. दिल्ली के सत्यवादी हरिश्चन्द्र अस्पताल (Satyawadi Harishchandra Hospital) में काम करते समय कोरोना वायरस की चपेट में आए एक डॉक्टर के परिवार ने रविवार को दावा किया कि स्वास्थ्य एक्स्ट्राकॉरपोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजेनेशन (ईसीएमओ) प्रक्रिया का एक दिन का खर्च करीब दो लाख रुपये है. ईसीएमओ एक ऐसी मशीन है जो हृदय और फेफड़ों की तरह काम करती है. यह फेफड़ों और हृदय को आराम देने के लिए बाहर से रक्त और ऑक्सीजन का संचार करती है. डॉक्टर की पत्नी, छह साल का बेटा, माता-पिता और एक बहन मई में सिकंदराबाद में किराए के घर में रहने लगे हैं.

परिवार के एक सदस्य ने कहा, “हमने लगभग एक महीने पहले दिल्ली सरकार को कुल 84 लाख रुपये के मेडिकल बिल जमा किए थे. हम अधिकारियों के कहे पर चल रहे हैं, लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिली है.'' समय से जूझते हुए परिवार ने चंदा इकट्ठा करना शुरू किया और 26 लाख रुपये जमा किए.

परिवार के सदस्य ने कहा, ''हम मित्रों और संबंधियों से एक करोड़ रुपये का कर्ज ले चुके हैं.''उन्होंने कहा गुप्ता और उनकी पत्नी के कार्य अनुबंध का नवीनीकरण नहीं किया गया है. सदस्य ने कहा, “हमारे पास लड़ते रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. हम अब फेफड़े के प्रतिरोपण के लिए तत्काल एक डोनर की तलाश कर रहे हैं.”

गुप्ता ने एक साल से अधिक समय तक सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल के कोविड वार्ड में काम किया. उन्हें पहली बार 19 अप्रैल को कोविड के लक्षण दिखे और दो दिन बाद जांच कराई तो उनके संक्रमित होने की पुष्टि हुई. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने 18 मई को ट्वीट किया था कि गुप्ता के इलाज का खर्च दिल्ली सरकार उठाएगी. मंत्री ने कहा था, ''हमारे कोरोना योद्धा हमारी ताकत हैं और दिल्ली सरकार इस कठिन समय में उनके साथ खड़ी है.''