हैदरपुर में 2300 की आबादी, 1 साल में 265 को मिला काम, 400 लोग कर गए पलायन

आज हम आपको बड़ागांव तहसील के हैदरपुर गांव लेकर चलते हैं। यह गांव टीकमगढ़ से 40 किमी दूर है। गांव की आबादी 2300 है। इनमें से 400 लोग रोजगार की तलाश में पलायन कर चुके हैं।

जिससे यहां कोविड-19 की तरह गरीबी का लॉकडाउन गलियों में पसरा दिखाई देने लगा है। बस्तियों के कई मकानों में ताले लगे हुए हैं। पलायन का यह क्रम अभी थमा नहीं है। गांव के बाकी युवा की पलायन की तैयारी कर रहे हैं।

गांव के 75 साल के बुजुर्ग मोतीलाल कड़ा का कहना है कि अगर बच्चे काम करने के लिए बाहर न जाएं तो भूखे मरने की स्थिति बन जाए। न गांव में काम है और न बेहतर व्यवस्थाएं हैं। पिछले तीन महीने से गांव के बुजुर्ग ही वृद्धावस्था पेंशन के लिए परेशान हो रहे हैं।

मनरेगा में काम मिलना तो बहुत दूरी की बात है साहब। आंकड़े बताते हैं कि ग्राम पंचायत हैदरपुर में 265 जॉबकार्ड धारियों को 11052 दिन काम मिल पाया है। जिन्हें 21 लाख रुपए का भुगतान किया।

चार किस्से- दिल्ली जाकर मजदूरी कर रहे हैं, तब जाकर भर पाएगा हमारा पेट

75 साल के बुजुर्ग नथुआ कुशवाहा के परिवार में 13 लोग हैं। सिर्फ 2 एकड़ खेत है। दो बेट मजदूरी करने दिल्ली गए। तीन शहर में मजूदरी करते हैं, तब जाकर परिवार चलता है।

देवेंद्र अहिरवार पत्नी, 3 साल के बच्चे और दो भाई के साथ दिल्ली मजदूरी करने गए हैं। उनके पिता गांव में ही खेती करते हैं। वह बताते हैं कि गांव में काम मिलता तो दूर क्यों भेजता।

युवाओं के पलायन की बात करते हुए 60 साल के जगत सिंह दुखी हो जाते हैं। कहते हैं गांव में लोग शासन की ऐसी सभी योजनाओं से वंचित रहे। वहीं मनरेगा में भी युवकों को काम नहीं मिला।

दिव्यांग हूं, इसलिए मजदूरी करने बाहर नहीं जा सकता। यह टीस 24 साल के प्रमोद अहिरवार को खटकती है। शासन की योजनाएं ऐसी कि आज तक उसे ट्राॅयसिकल तक नहीं मिली।

गांव के लोग बताए कि कौन सा काम उनके दें

गांव के लोग, सरपंच, रोजगार सहायक और उपयंत्री मेरे पास आकर स्वयं बताएं की गांव में कौन से काम शुरू हो सकते हैं। जिससे काम की तलाश में बाहर जा रहे लोगों को रोका जा सके।

-एसके मालवीय, जिपं सीईओ

जिले में रोजगार के पर्याप्त साधन उपलब्ध

जिले में राेजगार के पर्याप्त साधन उपलब्ध हैं। पलायन न हो और काम मिलें, इसके लिए कलेक्टर को निर्देशित करता हूं।

-मुकेश शुक्ला, संभागायुक्त सागर

उपयंत्री सेवा शुल्क की मांग कर रहे हैं

जिपं, जपं सीईओ की लापरवाही से पलायन हो रहा है। काम देने के नाम पर उपयंत्री सेवा शुल्क की मांग करते हैं। सीएम से शिकायत करेंगे।

-राकेश गिरि, विधायक टीकमगढ़

दमोह: गांव में नहीं मिल रहा काम, मजबूरन पलायन कर रहे ग्रामीण

दमोह. दमोह में भी मजदूरों का पलायन लगातार है। ग्रामीण अंचलों में काम न मिलने एवं अन्य राज्यों में तीन गुना ज्यादा मजदूरी मिलने की वजह से मजदूर दूसरे राज्यों में काम करने जा रहे हैं। ज्यादातर मजदूर दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात व महाराष्ट्र में जा रहे हैं। दमोह रेलवे स्टेशन पर रोज 200 से 300 मजदूरों का जमावड़ा रहता है, जो ट्रेनों से अलग-अलग राज्यों के लिए रवाना होते हैं।

बीते सप्ताह ही महाराष्ट्र के कोल्हापुर से ठेकेदारों के चंगुल में फंसे बंधुआ मजदूरों को जिला प्रशासन द्वारा वापस लाया। दरअसल दमोह के 14 मजदूरों को दो व्यक्ति मकान निर्माण का काम दिलाने के नाम पर दो माह पहले महाराष्ट्र के कोल्हापुर ले गए थे। वहां जाकर एक ठेकेदार से डेढ़ लाख रुपए लेकर इन मजदूरों को उसके पास छोड़ दिया गया। ठेकेदार ने मजदूरों को बंधक बनाकर रखा और प्रताड़ित कर काम लिया।

छतरपुर: काम न होने से मजदूर लगातार कर रहे पलायन

छतरपुर. छतरपुर जिले के मजदूर अनलॉके के बाद से लगातार देश के बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। जिले के 1 लाख 10 हजार प्रवासी मजदूर विभिन्न वाहनों के माध्यम से अपने-अपने गांव वापस लौटे। जैसे ही देश में अनलॉक हुआ वापस आए मजदूर धीरे-धीरे पलायन करने लगे। वर्तमान स्थिति में करीब 82 हजार प्रवासी मजदूर पलायन कर चुके हैं।

बाकी के प्रतिदिन बसों के माध्यम से बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। छतरपुर जनपद में छपर गांव का प्यारेलाल कोंदर, धरमदास राजपूत व सुरेश यादव सूरत शहर और सीगौन गांव का अच्छेलाल अहिरवार सहित ग्रामीण क्षेत्रों के मजदूर अपने परिवार सहित पलायन कर चुके हैं।