21 एकड़ जमीन पर डेवलप होंगे कमर्शियल कॉम्प्लेक्स, कॉलोनी और बस टर्मिनस

50 साल तक जिस भानपुर खंती पर कचरा पटका जाता था, अब वहां हरी घास नजर आ रही है। कुछ सालों में यहां हरियाली के साथ आईएसबीटी जैसा बस टर्मिनस, एक मार्केट और साथ में कॉलोनी भी डेवलप हो सकती है। नगर निगम ने भानपुर खंती की 36 एकड़ में से 21 एकड़ जमीन का लैंडयूज रेसीडेंशियल कम कमर्शियल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जमीन का बेहतर उपयोग तय करने के लिए नगर निगम ने एक कंसल्टेंट नियुक्त कर दिया है। इसके साथ ही लैंडयूज बदलाव के लिए टीएंडसीपी में आवेदन कर दिया गया है। एक माह में यह दोनों प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है।
पहला शहर है, जहां जमीन का व्यावसायिक उपयोग
देश में कई शहरों में पुराने कचरे का रेमिडेशन हुआ है, लेकिन उसके बाद खाली हुई जमीन का कोई उपयोग नहीं किया गया। भोपाल पहला ऐसा शहर है जहां इस जमीन का व्यावसायिक उपयोग होगा। 36 एकड़ में फैली खंती में से 15 एकड़ में तो घास की हरियाली हो रही है। साथ में नाले के किनारे और सड़क के सामने के हिस्से में कुछ बड़े पेड़ भी लगेंगे। लेकिन शेष 21 एकड़ जमीन नगर निगम को वापस मिलेगी।
50 साल तक यहां कचरा पटका जाता था, अब ग्रीनरी की जा रही है
20 हजार वर्ग फीट जमीन पर लगी घास
52 करोड़ रुपए खर्च करके निगम को मिल रही है 105 करोड़ की जमीन
36 एकड़ जमीन में से 21 एकड़ जमीन नगर निगम को मिलने जा रही है
साइंटिफिक क्लोजर के लिए 52 करोड़ खर्च
भानपुर खंती की 36.90 एकड़ में से 21.03 एकड़ जमीन निगम को मिलने जा रही है। शेष 15.87 एकड़ पर पार्क डेवलप किया जाएगा। कलेक्टर गाइडलाइन 5 करोड़ प्रति एकड़ के हिसाब से 21.03 एकड़ की कीमत 105 करोड़ होती है, जबकि निगम ने साइंटिफिक क्लोजर के लिए 52 करोड़ खर्च किए हैं।
कॉफी शॉप की भी हो रही है प्लानिंग
पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भानपुर खंती का निरीक्षण किया था। उस दौरान कलेक्टर अविनाश लवानिया ने मुख्यमंत्री को यहां कॉफी शॉप खोलने के बारे में जानकारी दी थी। सीएम ने इस पर खुशी जाहिर की थी। बताया जाता है कि इसके लिए प्लानिंग जारी है।
शहर की एक बड़ी समस्या हल हो गई
पूर्व महापौर आलोक शर्मा ने कहा कि भानपुर खंती शहर की बड़ी समस्या थी। 2015 में महापौर निर्वाचित होने के बाद मैंने इसे बंद करने के प्रयास शुरू किए। कचरे के निष्पादन का प्रोजेक्ट मेरे कार्यकाल में शुरू हुआ। जनवरी 2018 में हमने खंती में ताला डाल दिया। इसके पूरा होने पर मन में एक संतोष है।
पीपीपी मोड
21 एकड़ का कमर्शियल उपयोग संभव नहीं है...
पूरी 21 एकड़ जमीन का कमर्शियल उपयोग संभव नहीं है और पूरी जमीन का रेसीडेंशियल उपयोग करने पर लाभ कम होगा, इसलिए दोनों को मिलाकर जमीन का उपयोग होगा। इसके साथ ही विदिशा रोड की बसें अभी शहर के भीतर नादरा बस स्टैंड तक आती हैं, यहां पर विदिशा की ओर से आने-जाने वाली बसों के लिए आईएसबीटी जैसा बस टर्मिनस भी बनाया जाएगा। यह पूरा प्रोजेक्ट पीपीपी मोड के आधार पर होगा। कॉलोनी डेवलप करने की एवज में डेवलपर को लैंड पार्सल दिया जा सकता है जिस पर कमर्शियल कॉम्प्लेक्स का निर्माण कर वह अपनी लागत वसूल सके।
निष्क्रिय कचरे का 27 मीटर ऊंचा टीला बनाया
प्रोसेसिंग के बाद बचे हुए निष्क्रिय कचरे का 27 मीटर ऊंचा टीला बनाया गया है। इसके ऊपर 6 इंच मोटी गिट्टी डालकर जीडी लेयर से कवर किया गया है और मीथेन गैस निकालने के लिए पाइप लगाए जा रहे हैं। इस टीले पर हरी घास लगाई जा रही है।