दिल्ली जाकर भी अटल बिहारी वाजपेयी नहीं भूल पाए थे चाची के मंगोड़े और बहादुरा के लड्‌डू का स्वाद

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की बात हो और ग्वालियर के बहादुरा के लड्‌डू और चाची के मंगोड़े का जिक्र न आए यह हो नहीं सकता। अपने बचपन से लेकर युवा अवस्था तक अटल बिहारी वाजपेयी इन्हीं मंगोड़े और लड्‌डू का स्वाद लेकर सपने गढ़ते हुए नजर आते थे। दिल्ली जाकर भी वह यह स्वाद को नहीं भूल पाए थे। शुक्रवार को उनकी 96वीं जयंती है। उनके स्मरण के साथ-साथ इन स्वाद को कैसे भुलाया जा सकता है। हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री की स्मृति में उनके गृहनगर ग्वालियर में अटल स्मारक के रूप में नई सौगात दी जा रही है। इसके लिए शारदा बाल ग्राम, सिरोल पहाड़िया पर दो जगहों का चयन हो गया है। इनमें से एक जगह मुख्यमंत्री को चुनना है। जल्द अटल स्मारक तैयार होगा। इतना ही नहीं दूसरी सौगात की घोषणा दो दिन पहले हो चुकी है। अटल जी के स्कूल गोरखी को मॉडल स्कूल और संग्रहालय का रूप में तैयार किया जाएगा।

जब भी आते थे चाची के मंगोड़े जरुर खाते थे

शहर के दौलतगंज में अग्रसेन पार्क के बाहर फुटपाथ पर चूल्हे के पास बैठकर मंगोड़े खाते कई लोगों ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को देखा है। तब वो प्रधानमंत्री नहीं हुआ करते थे। चाची रामदेवी चौहान के हाथ के मंगोड़े का स्वाद ही अलग था। जब अटल जी दिल्ली चले गए और आगे जाकर प्रधानमंत्री बने तब भी जब ग्वालियर आना होता था चाची के हाथ के मंगोड़े खाए बिना नहीं रहते थे। अब अटल जी नहीं है। मंगोड़े बनाने वाली वो चाची भी नहीं है। पर रामदेवी चौहान का बेटा रामू आज भी वहीं दुकान चला रहे हैं। उनका कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री के नाम से ही हमारे मंगोड़े बिकते हैं। उनकी मां बताती थी कि अटलजी अपने पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी के साथ उनकी दुकान पर आया करते थे। उन्हें मंगोड़े बेहद पसंद थे। प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद 2004 में जब वे अपना जन्मदिन मनाने ग्वालियर आए तो उन्होंने मुरार सर्किट हाउस में मां को मिलने बुलवाया और वहां उनका सम्मान भी किया।

दिल्ली में बहादुरा के लड्‌डू देखकर खुश हो जाते थे अटलजी

अटलजी का पैतृक निवास शिंदे की छावनी में है और उनकी बहन उर्मिला व पूर्व सांसद अनूप मिश्रा की मां का घर सिंधी कॉलोनी में था। अटलजी जब भी बहन से मिलने जाते तो नया बाजार स्थित बहादुरा स्वीट्स पर लड्डू खाने जरूर रुकते थे। दुकान के संचालक विकास शर्मा का कहना है कि उनके पिता बहादुर प्रसाद शर्मा बताते थे कि हमारे समय में अटलजी दुकान पर खूब आया करते थे। उनके साथ में शिक्षाविद व आरएसएस से जुड़े बैजनाथ शर्मा, पूर्व विधायक गंगाराम बांदिल भी रहते थे। जब वह दिल्ली पहुंच गए तो उनसे मिलने वाले जब जाते थे तो ताजे लड्‌डू बनवाकर ले जाते थे। दिल्ली में लड्‌डू देखकर वह काफी खुश हो जाया करते थे। इसके अलावा भिंड बजरिया में द्वारिका के पेड़े भी अटलजी को बेहद पसंद थे।