खाई में गिरी कार की फोटो खींच रहे थे बाइक सवार, पीछे से आ रही बस ने कुचला, महिला सहित चार लोगों की मौके पर ही मौत

तेंदूखेड़ा के पास जबलपुर-दमोह मार्ग की सीमा से सटे हड़ऊ की टेक पर गुरुवार की सुबह 10.30 बजे एक टूरिस्ट बस ने सड़क पर खड़े तीन पुरुषों सहित एक महिला को कुचल दिया। जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। हादसे के दौरान बस भी पलट गई। हालांकि उसमें सवार 2 लोगों को मामूली चोटें आईं। जबकि 5 लोग घायल हो गए हैं। सड़क हादसे से पहले घटना स्थल पर एक कार खाई में गिर गई थी, जिसकी मदद के लिए तीन बाइक सवार खड़े थे, तभी अचानक से बारातियों से भरी बस तेज रफ्तार में निकली और उसने महिला सहित चारों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार 10.30 बजे विजय श्री ट्रांसपोर्ट कंपनी की लालू बस सर्विस नंबर एमपी 18 पी 0435 इंदौर से बारात लेकर वापस शहपुरा भिटोनी जा रही थी। चालक ने सड़क पर कार का हादसा देख रहे तीन लोगों को बस से कुचल दिया। हादसे में कार सवार लकवा पीड़ित फूलरानी पटेल 60 भी बस की चपेट में आ गईं। जिससे उसकी भी मौत हो गई। हादसे में बाइक सवार जेतगढ़ पौड़ी निवासी रूपलाल विश्वकर्मा 30 और दो अज्ञात बाइक सवारों की मौत हो गई। हादसे में इस तरह चार लोगों की मौत हुई।

बस में फंसे लोगों को पुलिस ने कांच तोड़कर निकाला
पुलिस ने बताया कि गुरुवार को सुबह 10 बजे हड़ऊ की टेक के पास सागर के सुरखी से जबलपुर जा रही एमपी 04 बीए 0511 नंबर की कार खाई में गिर गई। कार में लकवाग्रस्त फूलरानी नामक महिला सवार थी, जिसे इलाज के लिए लेकर लोग जा रहे थे। कार सवार लोगों को मामूली चोटें आईं थीं,100 डायल की मदद से घायलों को अस्पताल भेजा गया, लेकिन हादसे के दौरान तीन बाइक सवार कार में बैठे घायलों की मदद करने के लिए रुक गए।

जिनमें से एक बाइक सवार फोटो खींच रहा था, जबकि दो बाइक सवार भी घटना को देख रहे थे। मौके पर बाइकें बुरी तरह चकनाचूर हो गईं हैं। घटना की जानकारी लगते ही पाटन टीआई आसिफ इकबाल, एसडीओपी देवी सिंह, पुलिस अमला के साथ तत्काल ही घटना स्थल पर पहुंच गए थे। बस में फंसे लोगों को बस के कांच तोड़कर निकाला गया एवं 108 वाहन से घायलों को इलाज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाटन पहुंचाया गया।

किसने क्या खोया

1. मामा की मौत, भांजी भागी तो बच गई जान
रूपलाल विश्वकर्मा जो जैतगढ़ पौंड़ी से अपनी 12 वर्षीय भांजी को छोड़ने पाटन जा रहा था। वह भी बस की चपेट में आ गया। उसकी मौके पर मौत हो गई। जबकि उसकी भांजी बस को देखकर वहां से भाग खड़ी हुई। जिससे उसकी जान बच गई, मगर भांजी ने मामा की जान अपनी आंखों के सामने जाते हुए देख ली।

2. लड़की देखने जा रहे थे, मगर जान गंवाई
तेंदूखेड़ा थाना के ग्राम रामादेही निवासी सूरवीर घोषी 36 व लकलका निवासी हल्ले आदिवासी 32 भी बस की चपेट में आने से मौत हो गई। दोनों साथी लड़की देखने जा रहे थे। हालांकि यह तय नहीं है कि दोनों में से किसकी शादी होनी थी, लेकिन उनके लिए यह क्षण अशुभ साबित हुआ।

3. इलाज कराने जा रहे थे, हादसे में मां को खोया
सागर के सुरखी निवासी लकवा पीड़ित फूलरानी पटेल 60 को भी बस ने अपनी चपेट में ले लिया। महिला की घटना स्थल पर ही मौत हो गई। इसमें बुजुर्ग मां के बेटे और परिवार के लोग भी शामिल थे। हादसे में परिवार 5 सदस्य भी घायल हो गए हैं। मगर बेटों ने अपनी मां को गंवा दिया।

मदद करने आया सैनिक भी घायल
बस हादसे से पहले खाई में गिरी कार की सूचना पर लोगों की मदद के लिए 100 डायल के आरक्षक गनपत और सैनिक दौलत मौके पर पहुंचे, लेकिन बाद में बस आकर पलटने से वे भी बस की चपेट में आ गए। जानकारी लगते ही पाटन टीआई आसिफ इकबाल, एसडीओ पुलिस देवी सिंह तत्काल घटना स्थल पर पहुंच गए थे एवं बस में फंसे लोगों को बस के कांच तोड़कर निकाला गया।

बस में सवार ये यात्री भी हुए घायल
जबलपुर रेफर बस में सवार 14 लाेगाें काे चाेटें आईं हैं। जिनमें सपना जैन 50, आयुषी सिंघई 23, देवेंद्र पटेल 35, लीलाधर पटेल 35, भागचंद पटेल 42, कान्हा 40, दौलत राम 53, मालती जैन 40, निधि जैन 29, अमन जैन 23, हार्दिक जैन 5, हर्षित जैन 21, अभिषेक जैन 30, रिशिता 10, धमेंद्र 35, अर्जुन 35 घायल हुए हैं। सभी लोग जबलपुर रेफर किया गया है।

बस में इंदौर से लौट रही थी बारात
पाटन थाना प्रभारी आसिफ इकबाल ने जानकारी देते हुए बताया कि शाहपुरा के एक जैन परिवार की बारात इंदौर गई हुई थी, जब आज सुबह उक्त बारात बस से वापस तेंदूखेड़ा मार्ग से होते हुए पाटन आ रही थी इसी दौरान 27 मील के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई। पुलिस ने दो जेसीबी मशीनों को बुलवाया। जिसकी मदद से बस के नीचे फंसे घायल हुए मृतकों को कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया।

पुलिसकर्मियों ने दिखाई तत्परता
बस पलटने के बाद उसके नीचे दबे हुए बारातियों को बाहर निकालने में पुलिस स्टाफ की अहम भूमिका रही। पुलिस ने जेसीबी की मदद से कड़ी मशक्कत के बाद बस के नीचे जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे घायलों को बाहर निकालने एवं उनको तत्काल उपचार के लिए अस्पताल के लिए रवाना करने में तत्परता दिखाई।