भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने चुनाव आयोग से कहा- कमलनाथ-दिग्विजय अफसर-कर्मचारियों को धमका रहे

मध्य प्रदेश में उपचुनाव की सियासत जारी है। बयानों के बाद अब कर्मचारियों को लेकर प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने आ गईं हैं। जहां एक ओर कांग्रेस अधिकारी और कर्मचारियों पर भाजपा के दबाव में काम करने के आरोप लगा रही है, तो वही भाजपा का कहना है पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह झूठे आरोप लगाकर कर्मचारियों और अधिकारियों को डरा धमका रहे हैं।

यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। इसलिए चुनाव आयोग को ऐसे नेताओं का चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। बीजेपी से पहले दिग्विजय सिंह ने कर्मचारियों के खिलाफ चुनाव आयोग से शिकायत की थी। मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि जिस तरह से दिग्विजय सिंह ने खुलेआम कहा है कि सरकार रहे या ना रहे हम कर्मचारियों को छोड़ेंगे नहीं।

यह सीधे-सीधे धमकी है। कर्मचारी और अधिकारी नियमानुसार काम कर रहे हैं, लेकिन कमलनाथ और दिग्विजय हार के डर के कारण अधिकारी और कर्मचारियों को निशाना बनाने लगे हैं। वे खुलेआम अधिकारियों और कर्मचारियों को देख लेने की धमकी दे रहे हैं। वह चुनाव को प्रभावित करना चाहते हैं। इसलिए इस संबंध में आज हमने दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के खिलाफ चुनाव आयोग से शिकायत की है, ताकि चुनाव आयोग इस संबंध में इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकें।

दिग्विजय सिंह ने यह कहा था

मंगलवार दोपहर करीब 12 बजे दिग्विजय सिंह अपने साथियों के साथ चुनाव आयोग पहुंचे। उन्होंने चुनाव आयोग से शिकायत करते हुए कहा कि खासकर ग्वालियर और चंबल में अधिकारी और कर्मचारी गलत तरीके से भाजपा को जिताने में लगे हुए हैं। हमारे कार्यकर्ताओं को धमकाकर भाजपा के पक्ष में वोट करने के के लिए दबाव बना रहे हैं। इसी तरह अन्य सीटों पर भी अधिकारियों द्वारा ही सरकार के पक्ष में काम किया जा रहा है।

इसलिए चुनाव आयोग जरूरी कदम उठाते हुए ऐसे कर्मचारी और अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से दूसरी जगह भेज दे। इस बीच सिंह ने कहा कि हमारी सरकार रहे या ना रहे वैसे तो हमारी सरकार रहेगी, लेकिन हमें इस तरह के अधिकारी और कर्मचारियों से निपटना अच्छी तरह आता है। खासकर ग्वालियर और चंबल के अधिकारी और कर्मचारी समझ ले, हम ऐसे तत्वों से निपट सकते हैं।

दिग्विजय सिंह पर मामला भी दर्ज हो सकता है

दिग्विजय सिंह ने चुनाव आयोग से शिकायत करने में बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को जमा किया। कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन करते हुए सरकार और शिवराज के खिलाफ बयान बाजी की। बताया जाता है कि उन्होंने इसके लिए अनुमति नहीं ली थी। ऐसे में उनके खिलाफ बिना अनुमति प्रदर्शन करने का मामला भी दर्ज हो सकता है।