एलएनआईपीई में खेल मालिश राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभांरभ

ग्वालियर। लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान में आज स्वास्थ शिक्षा विभाग द्वारा चिकित्सीय और खेल मसाॅज पर आयोजित सात दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन प्रतिभागियों को खेल मसाॅज के सैद्धान्तिक व व्यवहारिक पक्ष से अवगत कराया गया।
डाॅ. वैशाली थमन ने प्रतिभागियों को आज के सत्र में मसाॅज से पूर्व खिलाड़ियों के शारीरिक जांच की महत्व को समझातेे हुए कहा कि एक फिजियोथेरेपिस्ट को अपने मरीज की सपूंर्ण जानकारी का होना आवश्यक हैं। खिलाड़ी जब भी किसी समस्या से पीड़ित हो तो उस समस्या से जुड़ी पूर्व की सूचना को, संबधित उपचारों व व्यायामों को अपने फिजियोथेरेपिस्ट को बताना आवश्यक हैं। ऐसा नही करने से खिलाड़ी की समस्या तो बढ़ ही सकती हैं साथ ही उसे कई तरह के इन्फेकशन भी हो सकते हैं। चोट की स्थिति को देखते हुए फिजियोथेरेपिस्ट एक खिलाड़ी को कितने समय उपरांत मसाज दे इस विषय पर निर्णय लेता हैं जैसे यदि किसी खिलाड़ी की चोट गंभीर न हो तो उसे 5-6 दिनों में और यदि गंभीर हुई तो 30-45 दिनों बाद ही मसाज देने का फैसला किया जाता है। यह अवधि चोट की स्थिति को देखते हुए और आगे भी बढ़ाई जा सकती हैं।
मसाॅज खिलाड़ियों के प्रदर्शन को निखारने में भी सहायक हैं, क्योंकि इसके द्वारा खिलाड़ियों के मसल्स आराम की अवस्था में पहुंच पाते हैं। मसल्स यदि सदैव कार्य की अवस्था में रहें तो वह टूटने लगते हैं और खिलाड़ी खेल में अपना श्रेष्ठ नहीं दे पाते। मसाॅज मसल्स के ग्रोथ व मजबूती के लिए भी आवश्यक हैं। खेल मसाॅज खिलाड़ियोें की आवश्यक्ता के अनूसार मसाॅज देने पर जोर देता हैं क्योंकि प्रत्येक खेल में अलग-अलग मसल्स की उपयोगिताएं हैं। मसाॅज खिलाड़ियों को चोट की अवस्था में आराम पहुंचाने के साथ ही रिकवरी में भी सहायक हैं। सायंकालीन सत्र में डाॅ. थमन ने प्रतिभागियांे को मसाॅज के व्यवहारिक पक्ष से अवगत कराया।