कफील खान को लुभाने की होड़, कांग्रेस के करीब डॉक्टर, सपा की भाई पर नजर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भले ही डेढ़ साल के बाद होने हों, लेकिन सियासी बिसात अभी से बिछाई जाने लगी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ विरोध का चेहरा बन चुके डॉ. कफील खान की सूबे के मुस्लिम समुदाय के बीच अच्छी खासी लोकप्रियता देखने को मिली है. ऐसे में राजनीतिक पार्टियां डॉ. कफील खान को अपने-अपने पाले में लाने के लिए उत्सुक नजर आ रही हैं, इस कवायद में सपा से आगे कांग्रेस निकलती दिख रही है.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर मथुरा जेल से रिहाई के बाद डॉ. कफील खान की भले कांग्रेस पार्टी और उनके नेताओं के साथ सियासी बॉंडिंग नजर आ रही हो, लेकिन डॉ. कफील राजनीतिक पत्ते अभी खोलने को तैयार नहीं है. उन्होंने जयपुर में गुरुवार को प्रेस कॉन्फेंस के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ-साथ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का भी धन्यवाद किया.

डॉ. कफील खान को मथुरा जेल के गेट से लेकर जयपुर तक ले जाने का काम कांग्रेस नेताओं ने किया है. यही नहीं कफील खान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के संपर्क में हैं. प्रियंका गांधी की सलाह पर ही वो राजस्थान गए हैं, जहां कांग्रेस सरकार है. इस बात को कफील खान खुद भी स्वीकार कर रहे हैं कि प्रियंका गांधी ने उनकी मदद की है और उनके कहने पर जयपुर आए हैं. वह कहते हैं कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए हम यहां सुरक्षित रह सकते हैं. हमारे परिवार को भी ऐसा ही लग रहा है, क्योंकि यूपी जाएंगे तो कोई न कोई केस लगाकर फिर हमें जेल में डाल दिया जाएगा.

कफील की रिहाई से लेकर जयपुर तक साथ मौजूद उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के चेयरमैन शाहनवाज आलम ने aajtak.in से कहा कि हमारी पार्टी हर उस निर्दोष के साथ खड़ी है, जिसके साथ योगी सरकार सूबे में अत्याचार और जुल्म करने का काम कर रही है. सीएए-एनआरसी के विरोध मामले में योगी सरकार ने बेगुनाह जिन लोगों को फंसाया है, उन सभी से प्रियंका गांधी संपर्क में हैं और कांग्रेस उनकी लड़ाई लड़ रही है. कफील खान को अब तय करना कि वह कांग्रेस के लिए काम करना चाहते हैं या नहीं. हम उन पर कांग्रेस ज्वाइन करने के लिए किसी तरह का दबाव नहीं बना रहे हैं.

कांग्रेस के पूर्व विधायक दल के नेता प्रदीप माथुर ने कहा, 'मैं पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के निर्देश पर कफील खान के मामले को लेकर मथुरा और अलीगढ़ के जिला प्रशासन के साथ नियमित रूप से संपर्क में था. हाईकोर्ट के आदेश के बाद रिहाई की सारी औपचारिकता पूरी करने के बाद कफील खान रात करीब 12 बजे जेल से बाहर आए और फिर गुरुवार को राजस्थान की सीमा तक पहुंचाने का काम हमने किया है. कांग्रेस में आते हैं तो हम उनका स्वागत करेंगे, लेकिन इसका फैसला कफील खान को करना है.

कफील के भाई सपा के संपर्क में

डॉ. कफील खान की भले ही कांग्रेस के साथ फिलहाल बॉंडिंग दिख रही हो, लेकिन सपा भी उन्हें अपने पाले में लाने की कवायद कर रही है. सूत्रों की मानें तो कफील खान के भाई कासिफ जमाल सपा नेता अखिलेश यादव के संपर्क में हैं. इन दिनों कासिफ भी कफील खान के साथ जयपुर में हैं. यही वजह है कि डॉ. कफील खान प्रियंका के साथ-साथ अखिलेश यादव का भी धन्यवाद कर रहे हैं.

सपा प्रवक्ता और पूर्व मंत्री अताउर्रहमान कहते हैं कि डॉ. कफील खान सपा में आते हैं तो हम उनका स्वागत करेंगे. सूबे में सपा ही योगी सरकार के खिलाफ मजबूती से लड़ रही है. कफील खान की रिहाई के लिए कांग्रेस ने सिर्फ बयानबाजी करने का काम किया है, असल लड़ाई तो सपा नेताओं ने लड़ी है. कांग्रेस का न तो सूबे में कोई जनाधार है और न ही संगठन. कफील खान सपा में आते हैं तो निश्चित तौर पर उन्हें एक राजनीतिक मजबूत ताकत मिलेगी.

'सरकार से डरकर चुप नहीं बैठेंगे'

वहीं, डॉ. कफील खान ने aajtak.in से बातचीत करते हुए कहा कि हम बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने के लिए बिहार, असम, केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक का दौरा करेंगे. हम योगी सरकार से डर कर चुप नहीं बैठ सकते हैं, राजनीति में आने को लेकर अभी तो कई फैसला नहीं किया है. हालांकि, प्रियंका गांधी ने हमारी बहुत मदद की है. कांग्रेस ने हमारी रिहाई के लिए बहुत संघर्ष किया है और सपा ने भी हमारे हक में आवाज उठाई. अखिलेश यादव ने रिहाई के लिए ट्वीट कर हमारी मदद की है.

दरअसल, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी में सरकार बनने के बाद से डॉ. कफील खान तीन बार जेल जा चुके हैं. पहली बार अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी की वजह से बच्चों की मौत हो गई थी, जिसके लिए डॉ. कफील को निलंबित कर जेल में डाल दिया गया था, करीब 9 महीने जेल में रहे थे. इसके बाद 2018 में उन्हें एक 9 साल पुराने मामले में बहराइच से गिरफ्तार किया गया था, इस दौरान दो महीने जेल में रहे. तीसरी बार उन्हें फरवरी 2020 में अलीगढ़ से गिरफ्तार किया था, सीएए-एनआरसी के विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने के मामले में योगी सरकार ने एनएसए लगा दिया था. ऐसे में अब कोर्ट के आदेश पर 8 महीने बाद जेल से रिहाई हुई है.

डॉ कफील खान की छवि योगी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले शख्स के तौर बन गई है. सूबे में मुस्लिम समुदाय के बीच इसीलिए कफील खान की लोकप्रियता बढ़ी है और उनकी रिहाई के लिए जिस तरह से मुस्लिम युवाओं ने आवाज उठाई है. उसे राजनीतिक दल कैश कराना चाहते हैं. कांग्रेस के एक नेता ने नाम छापने की शर्त पर बताया कि डॉ. कफील के पास 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी का मुस्लिम चेहरा बनने की क्षमता है, जिसके लिए पार्टी खोई हुई सियासी जमीन को फिर से हासिल करने की कवायद है. इसीलिए कांग्रेस ने कफील की हरसंभव मदद करने का काम किया है.

यूपी में मुस्लिम सियासत

बता दें कि उत्तर प्रदेश में करीब 20 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. सूबे की 403 विधानसभा सीटों में से 143 सीटें मुस्लिम प्रभावित मानी जाती हैं. इनमें से 70 सीटों पर मुस्लिम आबादी बीस से तीस फीसदी के बीच है जबकि 73 सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमान तीस फीसदी से ज्यादा हैं. सपा जब 2012 में सत्ता में आई थी तो उसे मुस्लिम बहुल 72 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं, 2017 में मुस्लिम बहुल सीटों पर बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रही थी जबकि कांग्रेस मुस्लिम सीट पर खाता भी नहीं खोल सकी थी. ऐसे में अब कांग्रेस की नजर मुस्लिम वोटबैंक पर है और वो कफील खान के जरिए साधने की रणनीति पर काम कर रही है, लेकिन कफील अभी सियासी नब्ज को समझ रहे हैं और इसीलिए अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं हैं.