कोरोना का कहर: दो महीने में 1.88 लाख करोड़ रुपये के निर्यात ऑर्डर हुए रद्द

कोरोना का प्रकोप भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कहर साबित हो रहा है. पिछले दो महीने में 25 अरब डॉलर (करीब 1.88 लाख करोड़ रुपये) के निर्यात ऑर्डर रद्द कर दिए गए हैं और 4 अरब डॉलर (करीब 30,000 करोड़ रुपये) का परिधान निर्यात फंसा हुआ है.

अपैरल एक्सपोर्ट फंसने की वजह यह है कि लॉकडाउन की वजह से स्थानीय प्रशासन कारखानों को कामकाज करने की इजाजत नहीं दे रहा. पिछले महीने से उत्पादन पूरी तरह से बंद है और लोगों की नौकरियां दांव पर लगी हुई हैं. सभी एक्सपोर्ट सेक्टर में 50 से 60 फीसदी निर्यात कैंसिल हो गया है.

 FIEO ने दी जानकारी

निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट (FIEO) के महानिदेशक और सीईओ अजय सहाय ने कहा कि समूचे निर्यात क्षेत्र का करीब 50 से 60 फीसदी निर्यात ऑर्डर रद्द हो गया है. अपैरल, लेदर, हैंडीक्राफ्ट और कारपेट सेक्टर में तो 80 फीसदी से ज्यादा निर्यात रद्द हो गए हैं. सहाय ने कहा, 'सिर्फ दो महीने में करीब 25 अरब डॉलर के निर्यातर ऑर्डर रद्द हो गए हैं.'

नोएडा स्पेशल इकोनॉमिक जोन (NSEZ) से काम कर रही कंपनी टारस एनग्लोब लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर विलास गुप्ता ने कहा, 'हम बहुत बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं.' गुप्ता सिर्फ अपनी कंपनी की बात नहीं कर रहे थे. असल में एनएसईजेड की 262 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में से सिर्फ 15 में काम हो रहा है. ये 15 यूनिट ऐसे हैं जो मेडिकल गुड्स जैसे जरूरी सामान का उत्पादन करते हैं. यह हाल तब है जब केंद्र सरकार ने साफ निर्देश दिया है कि एईजेड के अंदर काम करने वाले कारखाने जरूरी सुरक्षा उपाय और 50 फीसदी कर्मचारियों के साथ काम कर सकते हैं. लेकिन यूपी सरकार की राय कुछ अलग है.

NSEZ से करीब 1.5 किमी दूर एक हाउसिंग सोसाइटी है जहां कुछ कोरोना पॉजिटिव मरीज हैं. इसी आधार पर प्रशासन कारखानों को चलने नहीं दे रहा. प्रशासन का कहना है कि ये यूनिट संक्रमण जोन में आते हैं, जबकि आसपास की दूसरी सोसाइटियों को बंद नहीं किया गया है.'

नोएडा स्पेशल इकोनॉमिक जोन (NSEZ) से हर साल करीब 9,000 करोड़ रुपये के सामान का निर्यात होता है और इसमें करीब 50 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है.

चीन से भी मिल रही चुनौती

विदेशी ग्राहक अपने ऑर्डर कैंसिल कर रहे हैं जिसकी वजह से कारखाना मालिकों को अपने कारोबार का ​भविष्य अंधकारमय दिख रहा है. गुप्ता ने कहा कि निर्यात के लिए तैयार शिपमेंट भी नहीं भेजे जा सकते, जब तक कि स्थानीय प्रशासन कामकाज शुरू करने की इजाजत नहीं देता. इसकी वजह से कारखानों को काफी नुकसान हो रहा है. कारोबारियों को लगता है कि अगर कारखाने तत्काल शुरू नहीं किए गए तो उन्हें कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ेगी.

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन जारी रहा तो भारतीय निर्यातकों का ऑर्डर छिनता जाएगा क्योंकि चीन में कारखाने पूरी रह से शुरू हो चुके हैं और ग्राहक ऑर्डर कैंसिल कर चीन से माल मंगा लेंगे.