इकोनॉमी पर कोरोना का कहर! 30 साल में सबसे कम GDP ग्रोथ का अनुमान

भारतीय इकोनॉमी के लिए कोरोना वायरस एक बड़ा संकट बन रहा है. पहले से ही सुस्त रफ्तार से चल रही इकोनॉमी का ग्रोथ रेट 30 साल के निचले स्तर पर जा सकता है. रेटिंग एजें​सी फिच ने ये अनुमान लगाया है. फिच ने शुक्रवार को भारत की ग्रोथ रेट अनुमानों को घटाकर दो फीसदी कर दिया है. यह 30 साल का न्यूनतम स्तर होगा.

  • भारत की इकोनॉमी को लगा कोरोना वायरस का डंक
  • 30 साल के निचले स्तर पर जा सकती है ग्रोथ रेट

फिच रेटिंग्स ने एक बयान में कहा, ‘ हमें इस साल वैश्विक मंदी की आशंका है और मार्च 2021 में खत्म हो रहे वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर के अनुमानों को घटाकर दो प्रतिशत कर दिया गया है.’ इससे पहले फिच ने अनुमान लगाया था कि जीडीपी ग्रोथ रेट 5.1 फीसदी रहेगी. तब भी फिच ने अपने पहले के अनुमान से कम किया था, जिसे अब और घटा दिया है.

एडीबी को अनुमान, 4 फीसदी रहेगी ग्रोथ

इससे पहले एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अनुमान जताया है कि वित्त वर्ष 2021 में भारत की आर्थिक विकास दर घटकर 4 फीसदी रह सकती है. एडीबी के अध्यक्ष मसात्सुगु असाकावा ने कहा, ‘‘कई बार काफी चुनौतीपूर्ण समय का सामना करना पड़ता है. कोविड-19 से विश्वभर में लोगों की जिंदगियां प्रभावित हुई हैं और उद्योग एवं अन्य आर्थिक गतिविधियां बाधित हो रही हैं.’’

इस बीच, मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने भारतीय बैंकों के आउटलुक को स्टेबल यानी स्थिर से बदलकर निगेटिव कर दिया, जिसके बाद बैंकिंग शेयर 15 प्रतिशत तक गिर गए. मूडीज का अनुमान है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते आर्थिक गतिविधियों में कमी आने से बैंकों की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता में गिरावट आएगी.

कोरोना से इकोनॉमी को बड़ा नुकसान

बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए 21 दिन का लॉकडाउन चल रहा है. इस लॉकडाउन में देश की इकोनॉमी को 100 अरब डॉलर यानी करीब 7.6 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. एक एजेंसी एक्यूट रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को हर दिन 4.5 अरब डॉलर यानी करीब 34 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.