MP: बीजेपी के ऑपरेशन लोटस को कमलनाथ का झटका, 3 MLA को अपने खेमे में किया

मध्य प्रदेश की सत्ता के जंग में बीजेपी और कांग्रेस के बीच शह-मात का खेल जारी है. 'ऑपरेशन लोटस' के जरिए कमलनाथ सरकार को समर्थन करने वाले चार विधायक बीजेपी के खेमे में खड़े हैं. कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग के इस्तीफे की खबर के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी को तगड़ा झटका दिया है. मुख्यमंत्री निवास पर बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी और संजय पाठक ने देर रात कमलनाथ से मुलाकात की. वहीं, बीजेपी के तीसरे विधायक शरद कोल पहले से ही बगावत का रुख अपनाए हुए हैं और कांग्रेस खेमे के साथ खड़े हैं.

  • बीजेपी के दो विधायक कमलनाथ से मिले
  • संजय पाठक भी पहुंचे थे कमलनाथ के घर

बीजेपी ने इन विधायकों के देर रात कमलनाथ सरकार के पर्यटन मंत्री सुरेन्द्र सिंह बघेल हनी लेकर मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे. बीजेपी के दोनों विधायक लगभग एक घंटे तक मुख्यमंत्री आवास पर रहे. कमलनाथ के यहां से निकलने के बाद नारायण त्रिपाठी ने अपने इस्तीफे की खबर को गलत बताया और कहा कि वह अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने आए थे. जब उनसे पूछा गया कि आप किसके साथ है उन्होंने कहा कि वे उसके साथ है जो वसुधैव कुटुम्बकम और सर्व धर्म सम्भाव को लेकर चल रहे.

मुख्यमंत्री निवास से विधायक नारायण त्रिपाठी के निकलने के आधे घंटे बाद बीजेपी विधायक संजय पाठक निकले. पाठक करीब लगभग डेढ़ घंटे से ज्यादा समय तक कमलनाथ के घर पर रहे. संजय पाठक बीजेपी के उन नेताओं में है, जिनके ऊपर कांग्रेस विधायकों के हॉर्स ट्रेडिंग करने का आरोप लगाया गया है. ऐसे में कमलनाथ से मुलाकात के बाद सियासी सरगर्मी तेज हो गई हैं.

संजय पाठक और नारायण त्रिपाठी को मध्य प्रदेश में बड़े खनन कारोबारी के रूप में जाना जाता है. मंगलवार की रात मध्य प्रदेश में सियासी ड्रामा शुरू हुआ तो कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने बीजेपी विधायक संजय पाठक का नाम खुले तौर पर लिया था. माना जा रहा है कि इसी के बाद संजय पाठक की जबलपुर सहित कई खदानों पर छापेमारी की गई.

संजय पाठक बीजेपी से पहले कांग्रेस में रहे हैं और उनके कमलनाथ सहित कई नेताओं से रिश्ते अच्छे रहे हैं. नारायण त्रिपाठी और शरद कोल तो पिछले साल से ही बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं, लेकिन कमलनाथ से मुलाकत के बाद तीसरे नाम संजय पाठक का जुड़ रहा है.

बता दें कि मध्य प्रदेश में सरकार गिराने और बचाने की शुरूआत 3 मार्च की देर रात से हुई. गुरुग्राम के मानेसर के ITC रिजॉर्ट में बीजेपी पर 6 निर्दलीय और 4 कांग्रेस के विधायकों को बंधक बनाने का आरोप लगा. उसी वक्त कमलनाथ सरकार में मंत्री जीतू पटवारी और जयवर्धन सिंह विधायकों को वापस लाने भी पहुंचे थे. इसके बाद दिग्विजय सिंह और शिवराज चौहान के बीच जुबानी जंग भी हुई थी.