UAPA बिल का सपा ने किया विरोध लेकिन सरकार को गया मुलायम सिंह का वोट

यूएपीए संशोधन बिल के विरोध में एक तरफ सपा के मुस्लिम सांसदों ने वोटिंग का बहिष्कार किया तो दूसरी ओर सपा संरक्षक और पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने बिल के पक्ष में वोट कर मोदी सरकार का साथ दिया. हालांकि इस दौरान सपा अखिलेश यादव सदन में मौजूद नहीं थे. 

आतंकवाद के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा लाए गए 'विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक 2019' (यूएपीए बिल) बुधवार को लोकसभा में पास हो गया. लेकिन, यूएपीए बिल पर समाजवादी पार्टी बिखरी हुई नजर आई. यूएपीए संसोधन बिल के विरोध में एक तरफ सपा के मुस्लिम सांसदों ने वोटिंग का बहिष्कार किया तो दूसरी ओर सपा संरक्षक और पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने बिल के पक्ष में वोट कर मोदी सरकार का साथ दिया. हालांकि इस दौरान सपा अखिलेश यादव सदन में मौजूद नहीं थे.  

यूएपीए संशोधन बिल बुधवार को लोकसभा में पेश किए जाने पर विपक्ष ने इसका तीखा विरोध किया. कांग्रेस और उसके सहयोगी सहित कई विपक्षी दलों ने चर्चा के बाद यूएपीए बिल का बहिष्कार करने का फैसला किया. ऐसे में वोटिंग के दौरान बिल के विरोध में सपा के सांसद आजम खान, सफीकुर्रहमान बर्क और एसटी हसन भी सदन से वॉकआउट कर गए.

विपक्ष के बहिष्कार के दौरान अस्वस्थ चल रहे मुलायम सिंह विपक्ष की आगे वाली सीट पर बैठे रहे. यही नहीं,  बिल के पक्ष में मुलायम सिंह यादव ने वोट कर सरकार का साथ दिया. संशोधन पर वोटिंग के दौरान मुलायम तीन बार बिल के पक्ष में खड़े हुए.

इस दौरान बीजेपी सांसद बीरेंद्र सिंह मस्त और बृजभूषण शरण सिंह ने मुलायम को खड़े होने में मदद की. जबकि, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव बुधवार को सुबह लोकसभा आए थे लेकिन यूएपीए बिल पर चर्चा और वोटिंग के दौरान सदन में मौजूद नहीं थे.

सपा के सांसद एसटी हसन ने aajtak.in से बातचीत करते हुए कहा कि यूएपीए संशोधन कानून पूरी तरह से मुस्लिम और आदिवासियों के खिलाफ है, जिसके चलते सपा ने इस बिल का बहिष्कार करने का फैसला किया. इसमें ऐसे प्रावधान हैं कि शक के बुनियाद पर किसी को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उसकी संपत्ति सील कर दी जाएगी.

एसटी हसन ने आशंका जताते हुए कहा कि मौजूदा हाईटेक दौर में अगर किसी ने भी किसी के मोबाइल या कम्प्यूटर को हैक कर लिया और गलत मैजेस भेज दिया तो इस कानून के तहत जिसके नाम पर मोबाइल और कम्प्यूटर होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. ऐसे में पोटा जैसे कानून का सरकारें गलत इस्तेमाल कर चुकी हैं. आतंकवाद के इल्जाम में कितने बेगुनाहों को पकड़ा जाता है और सालों के बाद वह बेगुनाह रिहा होते हैं. हाल ही में एनआईए ने अमरोहा से जो गिरफ्तारी की थी, कोर्ट ने उन्हें 6 महीने के बाद रिहा कर दिया गया है. इस तरह न जाने कितने मामले हैं.

एसटी हसन ने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस बिल का बहिष्कार करने का फैसला किया था, जिसका हम लोगों ने पालन किया. मुलायम सिंह यादव ने क्या किया है, इसकी हमें जानकारी नहीं है. मुलायम सिंह को चलने-फिरने में दिक्कत होती है, जिसके चलते सदन से वॉकआउट करते समय वो नहीं निकल सके होंगे.