AIADMK क्यों TDP के अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेगी?

तेलुगू देशम पार्टी के एनडीए की सरकार से बाहर होने और फिर अविश्वास प्रस्ताव लाने के फैसले ने दक्षिण की राजनीति में उबाल ला दिया है. आंध्र से उठी इस आवाज़ ने पड़ोसी तमिलनाडु की राजनीति में सरगर्मी बढ़ा दी है.

रविवार को पूर्व सांसद और एआईएडीएमके (AIADMK) के प्रवक्ता केसी पलानीसामी को पार्टी से हटा दिया गया. दरअसल उन्होंने दावा किया था कि अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक कावेरी प्रबंधन प्राधिकरण का गठन नहीं किया गया तो उनकी पार्टी लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान बीजेपी सरकार को वोट नहीं देगी.

AIADMK ने साफ कर दिया है कि उन्हें पड़ोसी पर प्यार जताने में कोई दिलचस्पी नहीं है. यानी वो अविश्वास प्रस्ताव के दौरान मोदी सरकार का समर्थन करेंगे. दरअसल कई ऐसी वजहें है जिससे कि AIADMK आंध्र प्रदेश के लिए पैरवी के मूड में नहीं है.

टीडीपी और वायएसआर कांग्रेस आन्ध्र प्रदेश के लिए स्पेशल स्टेटस कैटेगरी की मांग कर रहे हैं. स्पेशल स्टेटस कैटेगरी का मतलब होगा आन्ध्र प्रदेश को बड़ा आर्थिक फायदा. इसके तहत केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं की 90 प्रतिशत लागत केंद्र उठाएगी. इसके अलावा राज्य को निवेशकों को बेहतर प्रोत्साहन देने की भी सुविधा मिलेगी. तमिलनाडु के लिए ये शायद ही अच्छी खबर होगी. तमिलनाडु के कुछ बड़े प्रोजेक्ट पहले ही आंध्र को दे दिए गए हैं जिसमें किआ मोटर्स का प्लांट भी शामिल है. आंध्र-तमिलनाडु सीमा से 30 किमी से भी कम दूरी पर चित्तूर जिले में श्री सिटी एसईजेड का प्रोजेक्ट है. यहां भी तमिलनाडु के निवेशक पैसा लगा रहे हैं.

दूसरा तर्क ये है कि टीडीपी और वायएसआर कांग्रेस एक दूसरे को पीछे छोड़ने के चक्कर में लोकसभा पहुंच गए है. ऐसे में केंद्र के खिलाफ उन्हें समर्थन देने से तमिलनाडु को किसी भी तरह से कोई फायदा नहीं होगा. वास्तव में, AIADMK ने TDP के व्यवहार को "अवसरवादी" कहा है. AIADMK ने ये भी कहा है कि आखिर क्यों इस मुद्दे को विभाजन के चार साल बाद उठाया गया है.

पालानीस्वामी और पन्नीरसेल्वम का मानना है कि आंध्र बनाम दिल्ली की लड़ाई में शामिल होने की कोई जरूरत नहीं है. दरअसल क्रेंद्र में बीजेपी के साथ होने से उन्हें तमिलनाडु की मांगों को पूरा करने में मदद मिलेगी.

तीसरा तर्क ये है कि आंध्र प्रदेश ने तमिलनाडु के समर्थन में कभी भी अपनी आवाज नहीं उठाई. खासकर जब वो कावेरी जल के लिए आंदोलन कर रहे थे तो उस वक्त उन्हें आंध्र प्रदेश से कोई समर्थन नहीं मिला था. ऐसे में AIADMK भी स्पेशल स्टेटस कैटेगरी के मुद्दे पर उन्हें समर्थन देने के मूड में नहीं है.

चौथा तर्क ये है कि अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन कांग्रेस भी करेगी. कांग्रेस तमिलनाडु में DMK की सहयोगी दल है. यानी AIADMK की सबसे बड़ी दुश्मन.

इतना ही नहीं बीजेपी ने AIADMK को पहले ही झलक दिखला दिया है कि अगर वो उनका समर्थन नहीं करेंगे तो फिर वो क्या कर सकते हैं. सीबीआई और इनकम टैक्स छापे का डर पहले से ही चेन्नई में नेताओं को सता रहा है.

DMK ने कहा है कि AIADMK को अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करना चाहिए. इसके लिए तर्क ये है कि सत्ताधारी दल को कावेरी प्रबंधन बोर्ड का गठन करने के लिए इसके जरिए दबाव बनाने का मौका है. 37 सांसदों के साथ वो मोदी सरकार से सौदेबाज़ी कर सकते है. लेकिन AIADMK का मानना है कि अगर अविश्वास प्रस्ताव से मोदी की सरकार नहीं गिरेगी तो फिर क्यों ना उन्हें समर्थन दिया जाए.

पिछले हफ्ते एनडीए से टीडीपी के बाहर निकलने के बाद तमिलनाडु ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. चन्द्रबाबू नायडू भी तमिलनाडु से प्रेरित हैं उन्होंने एनडीए के खिलाफ विद्रोह को एक धर्म युद्ध कहा है (पवित्र युद्ध) जो कि ओ पन्नीरसेल्वम की किताब का एक अध्याय भी है.