ग्वालियर हाईकोर्ट ने तबादला -प्रतिनियुक्ति आदेश निरस्त किये, 26 को डबल बेंच ने दिया स्टे आदेश

ग्वालियर, नगरनिगम में अधिकारियों का अभाव होने से बच गया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 20 मई को निगमायुक्त संघप्रिय समेत 61 अधिकारियों-कर्मचारियों का तबादला -प्रतिनियुक्ति का आदेश निरस्त करते हुए उन्हें मूल विभाग में भेजने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ मध्यप्रदेश शासन और नगर निगम ने भी अपील की है।
26 मई को डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए 20 मई को दिये आदेश पर फौरी रोक लगा दी गयी है। हाईकोर्ट ने इस मामले में मप्र शासन का डॉ. अनुराधा गुप्ता को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है। मामले की सुनवाई 23 जून वाले सप्ताह में होगी।
डॉ. अनुराधा गुप्ता ने याचिका दायर करते हुए स्वास्थ्य अधिकारी को हटाने की मांग की थी। निगम अधिकारियों की तरफ से पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट एमपीएस रघुवंशी ने तर्क दिया – जिस याचिका पर सिंगल बैंच ने 61 अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति-तबादला आदेश निरस्त किया। उसकी मूल मांग स्वास्थ्य अधिकारी को हटाने की थी। चूंकि उन्हें पहले ही वापिस भेज दिया गया। ऐसे में याचिका ही निष्प्रभावी हो गयी थी।
दूसरा, यदि ट्रांसफर के आदेश को चुनौती देना है तो उस व्यक्ति को सामने आना होगा जो उससे पीड़ित या प्रभावित हो। इस केस में कोई भी ऐसा व्यक्ति सामने नहीं आया।
तीसरा, ये याचिका (रिट ऑफ को वारंटो) तबादला आदेश के खिलाफ सुनवाई योग्य नहीं है। वहीं, शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक खेडकर ने बताया कि निगम में वैसे ही काफी पद रिक्त पड़े हुए हैं। यदि प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारियों को नहीं लाया जाएगा तो काम प्रभावित होगा। नगर निगम अधिनियम के अनुसार भी निगम में प्रतिनियुक्ति पर नियुक्ति का प्रावधान है। वहीं निगम की ओर से गौरव मिश्रा ने कहा कि इस आदेश से सफाई व्यवस्था ठप्प हो जाएगी, काम प्रभावित होगा।
61 अधिकारियों-कर्मचारियों के आदेश निरस्त
निगमायुक्त संघ प्रिय, एडिशनल कमिश्नर रजनी शुक्ला, विजयराज, मुनीष सिकरवार, अनिल कुमार दुबे, असिस्टेंट कमिश्नर सुनील चौहान, अमरसत्य गुप्ता, अकाउंटेंट संतोष शर्मा, असिस्टेंट सेनेटरी अधिकारी वैभव श्रीवास्तव, असिस्टेंट लॉ ऑफिसर भानू प्रताप सिंह तोमर, असिस्टेंट इंजीनियर शालिनी सिंह। ये प्रमुख नाम हैं, जिन्हें मूल विभाग में भेजने का आदेश दिया गया था। डिप्टी कमिश्नर रहे डॉ. दिनेश दीक्षित को अप्रैल 2025 को ही उनके मूल विभाग (पशुपालन) ने वापस बुला लिया था। उन्होंने ज्वाइनिंग कर ली है या करना बाकी है, इसके संबंध में कोर्ट में जानकारी नहीं दी गई ।