थाटीपुर पुर्नघनत्वीकरण हरियाली हो रही दिनों-दिन खत्म, रमौआ -ओहदपुर ही नहीं प्रोजेक्टस्थल पर ट्रांसप्लाट पेड सूख रहे

ग्वालियर. थाटीपुर पुर्नघनत्वीकरण प्रोजेक्ट में हरे-भरे पेड़ों का ट्रांसप्लाट कामयाब नहीं हो पाया है। प्रोजेक्ट प्वाइंट से लगभग 12 से 16 किमी दूर रमौआ और ओहदपुर ही नहीं, यह ट्रांसप्लांट इसी जगह पर भी फेल हो रहा है। क्योंकि, जिन पेड़ों को निर्माणाधीन स्थल पर ही ट्रांसप्लाट किया गया था। वह भी लगातार दम तोड़ रहे हैं। ट्रांसप्लाट का ठेका लेने वाली कम्पनी रोहित नर्सर नयी दिल्ली ने दर्जनों पेड़ थाटीपुर में तैयार हो रहे ब्लॉकों के बीच ही लगा दिये है।
यह गलत प्रक्रिया और देखरेख के अभाव में सूखते जा रहे हैं। वहीं, हाउसिंग बोर्ड के जिम्मेदारी अधिकारी कंपनी की इस लापरवाही व मनमानी पर पर्दा डालने में लगे हैं। विभाग के कार्यपालन यंत्री हरीश श्रीवास्तव 80 प्रतिशत पेड़ सर्वाइकल का नियम बता रहे हैं। लेकिन ऐसा कोई ऑडिट नहीं किया गया है। जिससे खत्म हुए पेड़ों की जानकारी सार्वजनिक हो सके। यहां करीब 330 पेड़ थे। जो शहर का ग्रीन एरिया था। लेकिन अब यह हरियालीविहीन होता जा रहा है।
1.51 करोड़ का ठेका, आंदोलन भी नहीं बचा पाया पेड़
हाउसिंग बोर्ड ने थाटीपुर पुनर्घनत्वीकरण के पहले चरण के दौरान 6 हेक्टेयर क्षेत्र में हो रहे काम के लिए 339 पेड़ों को शिफ्ट करने का ठेका 1 करोड़ 51 लाख रुपए में दिल्ली की रोहित नर्सरी कंपनी को दिया है। ये कंपनी रमौआ, ओहदपुर में पेड़ ट्रांसप्लांट कर रही है और कई पेड़ थाटीपुर में ही शिफ्ट कर दिए। कई दशक पुराने हरे-भरे व घने पेड़ कंपनी और अफसरों की लापरवाही के कारण सूखकर ठूंठ बन चुके हैं। इस प्रोजेक्ट में पेड़ों को लेकर शुरूआती दौर से ही विवाद चला आ रहा है। यहां के पुराने क्वार्टरों में रहने वाले अधिकारी-कर्मचारियों के अलावा कुछ संस्थाओं ने भी पेड़ ट्रांसप्लांट व कटाई का विरोध किया था।कोर्ट में जनहित याचिका दायर की। जिसमें हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों ने जवाब देकर आश्वस्त किया था कि पेड़ों का ट्रांसप्लांट सुरक्षित तरीके से होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।