जल गंगा संवर्धन अभियान से जुड़ें अधिकाधिक नागरिक: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश के ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में चल रहे जल गंगा संवर्धन अभियान की गतिविधियों की समीक्षा कर उत्कृष्ट कार्य करने वालों को बधाई दी। उन्होंने मुख्यमंत्री निवास पर हुई बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा के साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंस द्वारा कलेक्टर्स को जरूरी निर्देश भी दिए। उद्योग और रोजगार वर्ष 2025 से संबंधित गतिविधियों और एयर एंबुलेंस सेवा के संबंध में भी चर्चा की। बैठक में मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव (मुख्यमंत्री कार्यालय) डॉ. राजेश राजौरा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने नर्मदा परिक्रमा पथ में आश्रय स्थलों में बेहतर व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। परिक्रमा पथ के 321 स्थानों की पोर्टल पर भी मैपिंग की गई है। परिक्रमावासियों के विश्राम, भोजन के साथ ही संतों के लिए ध्यान कक्ष और कुटिया की व्यवस्था भी इन स्थानों पर की जा रही है।
जनभागीदारी बढ़ाएं : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा सभी जिला कलेक्टर्स को आवश्यक निर्देश दिए गए। प्रदेश में पानी बचाने, सहेजने, जल स्त्रोतों के संरक्षण और नए स्त्रोतों के निर्माण कार्यों में नागरिक भी भागीदारी कर रहे हैं। अभियान के अंतर्गत अब तक 21 लाख नागरिकों की सहभागिता सामने आई है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जल संवर्धन कार्यों में जनभागीदारी बढ़ाने के निर्देश दिए। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में खेत-तालाब के माध्यम से एक लाख हेक्टेयर सिंचाई सुविधा का सृजन करने में सफलता मिली है। उल्लेखनीय है कि खेत-तालाब निर्माण के लिए प्रति किसान 100 रूपए के व्यय पर राज्य शासन पर मात्र 5 रूपए का वित्तीय भार आता है। प्रदेश में वर्तमान में पूर्ण हुए 23 हजार 494 कार्यों पर लागत 634 करोड़ रूपए है। प्रति किसान औसत लागत 2.7 लाख रूपए आई है। प्रदेश में रिमोट सेंसिंग से 7 लाख कूपों की मैपिंग की गई है।
अभिनव कार्यों के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दी जिलों को बधाई
जल गंगा संवर्धन अभियान में कूप रीचार्ज कार्य में बैतूल जिला प्रदेश में प्रथम है। खंडवा द्वितीय और छिंदवाड़ा तृतीय स्थान पर है। खंडवा जिले में घोड़ापछाड़ नदी के संरक्षण के कार्य को व्यापक प्रशंसा मिली है। यह नदी छह महीने सूखी रहती थी। अब 12 ग्रामों की साढ़े सात सौ हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होने लगी है। अमृत सरोवर निर्माण में धार प्रथम है। सीधी द्वितीय स्थान और छिंदवाड़ा तृतीय स्थान पर है। प्राचीन बावड़ियों के संरक्षण में टीकमगढ़ जिले में वजीतपुरा बावड़ी का संरक्षण किया गया है। इंदौर में अहिल्या कुंड ने संरक्षण के बाद नया स्वरूप ले लिया है। इंदौर में एक पॉली टैंक कानिर्माण भी हुआ है, जहां मत्स्य पालन हो रहा है। नर्मदापुरम में नर्मदा पथ में जल मंदिर का निर्माण किया गया है।