आरबीआई की बैठक आज से, महंगाई फिर होगी बड़ा मुद्दा, रेपो रेट बढ़ा तो महंगा होगा कर्ज

नई दिल्‍ली. देश-दुनिया में बढ़ती महंगाई और महामारी के बाद उबरती अर्थव्‍यवस्‍था को गति देने पर मंथन करने के लिए आज बुधवार से तीन दिन तक रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक चलेगी. गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में छह सदस्‍यीय इस बैठक के नतीजे 30 सितंबर को आएंगे.

दरअसल, महंगाई अभी भारत ही नहीं अमेरिका-यूरोप सहित पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ा मुद्दा बन गई है और रिजर्व बैंक की इस बैठक में भी सभी फैसले इसी के इर्द-गिर्द लिए जा सकते हैं. आंकड़ों पर नजर डालें तो अगस्‍त में खुदरा महंगाई दर 7 फीसदी पहुंच गई थी, जबकि सितंबर में इसके और ऊपर जाने का अनुमान है. ऐसे में ज्‍यादातर एक्‍सपर्ट ब्‍याज दरों में फिर बढ़ोतरी का अनुमान लगा रहे हैं. आरबीआई ने मई में 0.40 फीसदी, जून में 0.50 फीसदी और अगस्‍त में 0.50 फीसदी रेपो रेट बढ़ाया था.
आपको पता होगा कि रिजर्व बैंक पिछली तीन बैठकों में लगातार रेपो रेट में वृद्धि कर चुका है, जबकि आज से शुरू हुई चौथी बैठक में भी ब्‍याज दरें बढ़ाने की पूरी गुंजाइश दिख रही है. मई से अब तक रेपो रेट में 1.40 फीसदी की वृद्धि की जा चुकी और प्रभावी ब्‍याज दर 5.40 फीसदी पहुंच गई है. चूंकि, महंगाई लगातार आठ महीने से रिजर्व बैंक के तय दायरे (2 से 6 फीसदी) से बाहर है, लिहाजा इस बार भी ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी होने का पूरा चांस है.

क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अर्थशास्त्रियों के बीच कराए एक सर्वे में बताया कि इस बार भी रेपो रेट में 50 आधार अंक की बढ़ोतरी हो सकती है. हालांकि, ज्‍यादातर एक्‍सपर्ट ने 35 से 50 आधार अंक की बढ़ोतरी की बात कही है. साथ ही यह भी अनुमान लगाया है कि दिसंबर में होने वाली एमपीसी बैठक में एक बार फिर ब्‍याज दरें बढ़ने की गुंजाइश होगी, लेकिन इसके बाद आरबीआई विराम लगा सकता है.

तीन साल के शीर्ष पर पहुंचेगी रेपो रेट
जैसा कि अनुमान है अगर रिजर्व बैंक रेपो रेट में एक बार फिर 50 आधार अंक की वृद्धि करता है तो प्रभावी ब्‍याज दर 5.90 फीसदी पहुंच जाएगी, जो तीन साल में सबसे ज्‍यादा होगी. हालांकि, रेपो रेट बढ़ाने का सीधा असर कर्ज की बढ़ती मांग और विकास दर पर भी होगा. ऐसे में रिजर्व बैंक इस पर फैसला लेने से पहले सभी पहलुओं पर मंथन करेगा. विश्‍व बैंक, आईएमएफ सहित तमाम रेटिंग एजेंसियों ने भारत के विकास दर अनुमान में कटौती कर दी है और रिजर्व बैंक नहीं चाहेगा कि उसके किसी फैसले का असर तेजी से सुधार की ओर बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था पर दिखे.