नैरोगेज ट्रेन ग्वालियर से मोतीझील के बीच चलेगी, एक स्टेशन और बनाया जायेगा

ग्वालियर. सिंधिया स्टेट के समय में शुरू की गयी नैरोगेज ट्रेन भेले ही ग्वालियर से श्योपुर के बीच डेढ़ वर्षो से बन्द हो चुकी है लेकिन यह ट्रेन सिर्फ इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर नहीं रहेगी। बल्कि रेलवे नैरोगेज को हैरिटेज लुक में सिटी ट्रेन के तौर पर 8 किलोमीटर के दायरे चलाई जायेगी। इसके लिये रेल प्रशासन तैयारी कर रहा है। इस ट्रेन को ग्वालियर स्टेशन से मोतीझील तक चलाया जायेगा । रेलवे ने यह योजना इंडियन स्टेशन डवलपमेंट कॉर्पोरेशन के सुझाव बनाई है। इसकी पुष्टि सोमवार को उत्तरमध्य रेलवे के महाप्रबंधक प्रमोद कुमार ने ग्वालियर के रेलवे प्लेटाफॉर्म के निरीक्षण के दौरान कही।

116 वर्ष पुरानी विरासत को सहजने की तैयारी

शहर में नैरोगेज ट्रेन 1905 में शुरू की गयी थी। तब ग्वालियर से कंम्पू कोठी और मुरार कके बीच चलती थी। तत्कालीन शासन माधौराव सिंधिया ने लाइट नैरोगेज ट्रेन चलाई थी। यह लश्कर, मुरार और हजीरा उपनगरों को ग्वालियर से जोड़ने वाली इस ट्रेन को बाद में श्योपुर तक चलायागया था। अब 116 वर्षो पुरानी विरासत को बचाने के लिये रेलवे ने पहल की है।
एक स्टेशन और तैयार किया जायेगा अभी रूट पर 3 स्टेशन है

ग्वालियर से मोतीझील तक ग्वालियर, घोसीपुरा और मोतीझील स्टेशन है। यहां नैरोगेज ट्रैक बिछा हुआ है। गोपाचल पर्वत से फूलबाग के बीच एक स्टेशन और विकसित किया जायेगा। ताकि हर 2 किमी में पर्यटकों के लिये स्टेशन मिल सकें।