हिंदी को बढ़ाने समर्थ समाज जरूरी

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि हिन्दी की वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ाने देश में उसका आधार और अधिक मजबूत बनाना होगा। उन्होंने कहा कि जिस समाज की भाषा ताकतवर होती है, वह समाज भी ताकतवर होता है। भाषा की शक्ति उसके बोलने वाले के व्यवहार, भाव और भावनाओं पर आधारित होती है। हिंदी को और अधिक मजबूत बनाने के लिए समाज को सशक्त, समर्थ और समृद्ध बनाने के प्रयास जरूरी है।

राज्यपाल श्री पटेल आज हिंदी भवन में म.प्र. राष्ट्र भाषा प्रचार समिति द्वारा हिन्दीतर भाषी सेवी सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने महात्मा गांधी जी और पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जन्म जयंती पर उनके चित्रों पर माल्यार्पण कर, स्मरण किया। हिंदी सेवी सम्मान से 11 और विशिष्ट सम्मान से तीन व्यक्तियों को सम्मानित किया। पूर्व सांसद, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति उपाध्यक्ष श्री रघुनंदन शर्मा भी मौजूद थे।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि हिंदी की सेवा राष्ट्र की सेवा है। हिंदी सेवी व्यक्तियों और संस्थाओं का सम्मान राष्ट्र का सम्मान है। उन्होंने कहा कि हिंदी का वैश्विक स्वरूप निरंतर बेहतर हो रहा है। आज दुनिया के सभी देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है। विश्व हिंदी सम्मेलन में 45 देशों से प्रतिनिधि शामिल होते है। उन्होंने कहा कि वर्तमान युग टेक्नोलॉजी का युग है। हिंदी को आधुनिकतम, उन्नत विज्ञान की भाषा बनाना होगा। हिंदी भाषियों को ज्ञान और व्यवसाय के नये अवसर उपलब्ध कराना सरकार और समाज की जिम्मेदारी है। श्री पटेल ने आयोजन में प्रस्तुत हिंदी गीत की सराहना करते हुयें, सफल आयोजन की बधाई दी। सम्मानित हिंदीतर सेवियों को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी।

समिति के अध्यक्ष श्री सुखदेव प्रसाद ने बताया कि हिंदी का व्यवसायिक कार्यो में उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हिंदी के विकास के द्वारा समग्र भारतीय संस्कृति को और अधिक मजबूत बनाने के प्रयास किए जा रहे है। समिति संचालक श्री के.सी.पंत ने बताया कि समारोह का आयोजन आत्मवलोकन का अवसर है। समिति हिंदी के मुद्दों पर चिंतन का कार्य सतत् रूप से कर रही है। हिंदी के द्वारा राष्ट्र में सामंजस्य और समन्वय की पहल में हिंदीतर हिंदी सेवियों के सम्मान और विभिन्न विषयों पर विमर्श मालायें आयोजित की जा रही है। कार्यक्रम में प्रशस्ति वाचन हिंदी भवन न्यास के निदेशक श्री जवाहर कनावट ने किया। आभार प्रदर्शन श्री सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी ने किया।