21वीं सदी के भारत का एक ऐसा गांव जहां पानी पीने के लिए एक हैंडपंप तक नहीं, बीमार पड़े तो 2 KM चलना पड़ता है पैदल

आजादी के 7 दशक गुजर जाने के बाद भी झारखंड के कई ऐसे इलाके हैं, जहां विकास की किरण अभी तक नहीं पहुंची है. इन इलाकों में पड़ने वाले गांवों में न तो पीने के लिए पानी की कोई व्यवस्था है और न ही एम्बुलेंस जाने का रास्ता. अगर कोई बीमार पड़ जाए तो ऐसा लगता है जैसे सिर पर आसमान गिर गया हो. नामकुम प्रखंड में आने वाला गढ़ा टोली ऐसा ही गांव है, जहां पीने के पानी और अस्‍पताल के अलावा कहीं आने-जाने के लिए ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस गांव का नाम ही शायद इस गांव के लिए अभिशाप बन गया है, क्योंकि इस गांव में जाने के लिए आपको ऐसे रास्‍तों से होकर गुजरना होगा जो गड्ढे से होकर ही जाता है. गांव को जोड़ने वाले रास्ते में नदी पड़ती है. इसपर एक अदद पुल अब तक नहीं बन पाया है.


नामकुम प्रखंड के सिल्वे पंचायत के गढ़ा टोली गांव की आबादी करीब 800 है और गांव में करीब 200 घर हैं. बरसात के मौसम में इस गांव के 800 लोग बाहरी दुनिया से कट जाते हैं. गांव से बाहर निकलने का एक ही रास्ता है और वो नदी से होकर गुजरता है. इसपर पुल बनाने के लिए हर मुमकिन कोशिश ग्रामीणों ने की लेकिन अभी तक यह संभव नहीं हो सका है. ग्रामीणों ने 5 विधायकों का कार्यकाल देखा है और सभी विधायकों के पास जाकर पुल बनाने की गुहार लगा चुके हैं. इसके बावजूद ग्रामीणों को सिर्फ आश्वासन ही मिला है. बीडीओ हो या सीओ या फिर उपायुक्त या सांसद हर जगह आवेदन देकर थक-हार चुके हैं.