कोरोना को खत्‍म करने के लिए शिवराज सरकार ने बनाए 58 हजार से ज्‍यादा ग्रुप, जानें कैसे करेंगे काम

मध्य प्रदेश में शहर से लेकर गांव तक कोरोना को जड़ से खत्म करने के लिए शिवराज सरकार ने अपना पूरा दम लगा रखा है. यही वजह है कि वार्ड स्तर से लेकर गांव में 58 हजार से अधिक क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप बनाए गए हैं. यही नहीं, अब यह ग्रुप कोरोना कर्फ्यू समेत कई फैसले लेने के लिए भी आजाद होंगे.

मध्‍य प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि प्रदेश के ग्रामीण एवं नगरीय निकायों में 58 हजार 138 क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप का गठन कर लिया गया है. इन समूहों में 6 लाख 51 हजार 559 सदस्य हैं. इसके साथ ही 301 विकास खंडों में भी क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप का गठन किया गया है, जिसमें 5 हजार 784 सदस्य हैं.

अब गांव स्तर पर होंगे फैसले

अभी तक जिले की क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी ही कोरोना को लेकर फैसला लेती थी, जिसमें कोरोना कर्फ्यू को बढ़ाने का मामला हो या फिर रियायत देने का मामला, लेकिन अब यह फैसले जिले की क्राइसिस कमेटी नहीं बल्कि गांव की क्राइसिस कमेटी ले सकेगी. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देशानुसार गृह विभाग द्वारा 10 मई को ग्राम/ब्लॉक/वार्ड स्तरीय क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप के आदेश जारी कर गए हैं. उन्होंने बताया कि अभी तक 50 हजार 846 ग्रामों में ग्राम स्तरीय संकट प्रबंधन समूहों का गठन किया गया है. इनमें कुल 5 लाख 34 हजार 627 सदस्य हैं. इसी प्रकार नगर निगमों के वार्डों में 884, नगर पालिका के वार्डों में 2218 और नगर परिषद के वार्डों में 4190 कुल 7292 नगरीय निकायों के वार्डों में वार्ड स्तरीय संकट प्रबंधन समूह का गठन कर लिया गया है. इनमें एक लाख 16 हजार 932 सदस्य हैं. इसके साथ उन्होंने बताया कि प्रदेश के 301 विकास खंडों में भी विकासखंड स्तरीय क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप का गठन हो चुका है जिसमें 5 हजार 784 सदस्य हैं.

52 जिलों में 1 साल से काम कर रही कमेटी

नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि मध्य प्रदेश के गांवों और शहरों में कोरोना महामारी को रोकने के संबंध में गठित यह सभी समूह सक्रियता से जुट गए हैं. उन्होंने बताया कि राज्य के 52 जिलों में जिला-स्तरीय आपदा प्रबंधन समितियां विगत एक वर्ष से क्रियाशील होकर अपना कार्य कर रहे हैं.