माया का मायाजाल....

वाह! कहते है जहां माया का जाल होता है वहां जनता के फंसने का पूरा चांस होता है। बस कुछ ऐसे ही मायाजाल में पूर्व की जनता है। उनको मायाजाल में अपनापन और विकास के सपने दिखते है।
हम बात कर रहे है ग्वालियर की पूर्व विधानसभा की। यहां जनता ऐसे मायाजाल में फंस चुकी है कि विकल्प पर मोहर लगायेगी कहना मुश्किल है। वैसे भी माया के अपनेपन, घर-घर पकड़ और विकास पर बात प्रमुख अस्त्र है। मायाजाल से जनता को बाहर निकालने के लिए घर के ही कुछ लोग काम कर रहे है। परंतु यह मायाजाल है घर वालों को समझना चाहिये और खुद को परखना चाहिये कि वह जुबानी जहर से कैसे मायाजाल काट पायेंगे, क्योंकि यहां तो प्यार का मायाजाल है। सिर्फ अब माया का ही राज है। इसे काटना तेड़ी खीर है।
फिर चाहे आप जहर उगलो और चाहे उन पर हवाई नेता का तंज कसो जनता को कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला। अब तो वैसे भी जनता पीतांबर रंग को पसंद करने लगी है। इसलिए हम तो कहेंगे मायाजाल तो मायाजाल है इससे काट पाना आपके बस में नहीं। मुंह बंद रखने में भलाई है बापू जी नहीं तो ना घर के रहोगे और ना...! अरे बाबा ये मायाजाल है.