अंडा देने की स्टेज में मादाएं, बर्ड फ्लू से बचाव के लिए चूना डस्ट से घेरा, हैंडलर भी बाड़े में सैनिटाइजेशन के बाद करेंगे एंट्री

धार-झाबुआ के बाद सागर जिले में भी कड़कनाथ मुर्गे के पालन के लिए पांच मदर इकाई स्थापित की गई हैं। 6 माह पहले ही आजीविका मिशन के तहत पांच जगह से 450 चूजे लाकर इन्हें रखा गया था। सभी इकाईयों में अधिकांश मादाएं अंडा देने की स्टेज में पहुंच गई हैं, लेकिन अब बर्ड फ्लू की दस्तक ने चिंता बढ़ा दी है। एहितयात के तौर पर सभी इकाईयों में कड़कनाथ को क्वैरंटाइन कर दिया गया है। साथ ही, मुर्गी पालकों को सलाह दी गई है, वे चूजों के बाड़े के चारों ओर चूना डस्ट डाल दें। यही नहीं, उनके बाड़े में प्रवेश करने से पहले हैंडलर भी लाइन डस्ट से अपने जूतों को सैनिटाइज करें।

जिला पंचायत सीईओ डॉ. इच्छित गड़पाले ने बताया, फ्लू रोकने के लिए पशु एवं स्वास्थ्य चिकित्सा विभाग सतर्क है। महिला समूहों द्वारा कड़कनाथ पालन किया जा रहा है। इन्हें फ्लू से बचाने के लिए मुर्गी पालकों को जानकारी दी जा रही है। परिवार व अन्य बाहरी व्यक्तियों को इनके संपर्क में आने से प्रतिबंधित करें, ताकि संक्रमण न हो। पशु चिकित्सक डॉ. केडी शर्मा ने मुर्गी पालकों को बचाव के संबंध में प्रशिक्षण भी दिया।

चूने के संपर्क से खत्म हो जाता है वायरस

पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक डॉ. आरपी यादव के मुताबिक कड़कनाथ के अलावा अन्य पॉल्ट्री फार्म में एहितयात बरतने के निर्देश दिए गए हैं। चूना डस्ट वायरल इंफेक्शन को रोकता है। जूतों के माध्यम से यदि वायरस अंदर पहुंच रहा है, तो चूने के संपर्क में आकर खत्म हो जाता है।

देवरी में बने 1000 क्षमता के पॉल्ट्री फार्म

देवरी विकासखंड के हरदुली गांव के समूह की महिलाओं ने मुर्गी उत्पादक सहकारी समिति बनाई है। समिति गांव के सभी 50 मुर्गी फार्मों के लिए चूजा मुर्गी दाना, टीकाकरण और मुर्गे तैयार होने पर बाजार में बेचने की व्यवस्था करती है। इनके पास 400, 500 और 1000 चूजों की क्षमता के मुर्गी फार्म बने हैं। यह चूजे 35-40 दिनों में दो से ढाई किलो वजन के हो जाते हैं, जिसे ये सहकारी समिति को बेच देते हैं।

कड़कनाथ की खासियत

कड़कनाथ एक मात्र काले मांस वाला मुर्गा है। दूसरे मुर्गों के मुकाबले ये सिर्फ चार से पांच महीने में तैयार हो जाता है। बाजार में यह 1500 से 1800 रुपये में बिक जाता है। इसी खासियत के चलते कड़कनाथ की बहुत डिमांड रहती है।