मां का कैंसर ठीक करने सीखी रैकी, बन गया देश का यंगेस्ट टैरोकार्ड रीडर व रैकी हीलर

मध्यप्रदेश में जबलपुर के रहने वाले आयुष गुप्ता देश के सबसे कम उम्र के रैकी हीलर हैं। इनके नाम सबसे युवा टैरो कार्ड रीडर का खिताब भी है। बीते महीनों में ये कोविड के कई मरीजों को भी स्वस्थ करने में सफल रहे हैं। इसके लिए वे शुल्क भी नहीं लेते। दावा है कि अब तक 400 से अधिक कैंसर समेत अन्य मरीजों को स्वस्थ कर चुके हैं। उन्होंने मां के गले के कैंसर को ठीक करने के लिए रैकी सीखी और रैकी हीलर बन गए।

आज वरुण धवन, रेमो डिसूजा, शंकर महादेवन, रवि दुबे,बलराज सयाल, पवित्रा पुनिया जैसे अनेक सेलिब्रेटी भी इनके पास परामर्श के लिए आते रहते हैं। 18 वर्षीय आयुष को अमिताभ बच्चन के हाथों युवा रैकी हीलर का सम्मान भी मिला है। भोपाल अपने दोस्त जैद अली और जीशान से मिलने आए आयुष ने दैनिक भास्कर से अनुभव शेयर किए।

इतनी कम उम्र में रैकी के प्रति रुझान कैसे हुआ, इस पर आयुष बताते हैं कि 'मैं सात साल की उम्र से पापा को ध्यान, साधना करते देखा करता था। वे काफी आध्यात्मिक थे। उन्होंने ही मुझे मेडिटेशन सिखाया। अच्छा लगा। हालांकि योजना नहीं बनाई थी कि रैकी या टैरो कार्ड रीडिंग में कुछ करूंगा, लेकिन मेरी मां को गले में तकलीफ हुई थी। उनका इलाज चल रहा था, लेकिन डॉक्टर नहीं कह पा रहे थे कि वह ठीक हो पाएंगी या नहीं। पता चला कि उन्हें गले का कैंसर है।

उनके इलाज के लिए मैंने रैकी सीखी। उसके बाद तीन से चार महीने मैंने उनकी हीलिंग की। उन्हें दोबारा चेकअप के लिए ले जाया गया, तो जांच के बाद समस्या ठीक हो चुकी थी। इससे मेरा विश्वास बढ़ गया। वहीं से नई यात्रा शुरू हुई। वह मेरे लिए टर्निंग मोमेंट था। उसके बाद निश्चय किया, स्प्रिचुअल रैकी की ही फील्ड में आगे जाकर लोगों की मदद करुंगा। मेंने 3 लेवल पुणे में देवांग शुक्ला से रैकी की प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली। इसके बाद साउथ अफ्रीका जाकर आगे की ट्रेनिंग ली।

केबीसी के सेट पर बिग बी के सामने लिया रैकी का सेशन

आयुष ने कहा कि एक बार जब ऊर्जा से कनेक्शन हो जाता है, तो नई चीजें सीखने का मन होता है। इसी कड़ी में टैरो कार्ड रीडिंग भी सीखी। वे पहले खुद पर ही चीजों को आजमाते हैं। जब विश्वास हो जाता है, तो उससे अन्य लोगों का उपचार या मदद करते हैं। अब तक एक हजार से अधिक रीडिंग्स कर चुके हैं, जिनके पॉजिटिव नतीजे भी मिले।

मध्यप्रदेश में 200 से अधिक हीलिंग सेशंस के बाद जब चार साल पहले आयुष मुंबई पहुंचे, तो दोस्तों की मदद से टीवी व बॉलीवुड हस्तियों से संपर्क हुआ। केबीसी सेट पर भी बुलाया गया, जहां उन्होंने दो दिन का रैकी सेशन लिया। अभिनेता अमिताभ बच्चन भी उनसे काफी प्रभावित हुए। हाल में जब कोरोना ने दस्तक दी, तो उन्होंने कुछ पीड़ितों को नि:शुल्क परामर्श दिया।

रैकी से होता है मरीजों को फायदा

मई महीने में कॉलेज के एक सीनियर का फोन आया था कि उनकी बहन (जो गर्भवती भी थीं) कोविड पॉजिटिव आई हैं। वे चाहते थे कि मैं एक बार उन्हें देखूं। शुरू में थोड़ा नर्वस हुआ, लेकिन फिर खुद को पॉजिटिव किया और करीब 10 सेशंस लिए। उसका सकारात्मक असर हुआ। उनके कई लक्षण समाप्त हो गए। उन्हें होम क्वारैंटाइन के लिए अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। मैंने अगले 14 दिन फिर से उनकी हीलिंग की। चेकअप के बाद सब हैरान रह गए क्योंकि रिजल्ट निगेटिव आया था। आयुष के अनुसार, वे कोई दावा नहीं कर रहे हैं कि रैकी से कोविड के मरीज ठीक हो जाते हैं, लेकिन इससे फायदा तो जरूर होता है।

आसपास की नकारात्मकता ऊर्जा से बेअसर रहने के लिए आयुष हर रोज स्वयं की हीलिंग भी करते हैं। मेडिटेशन करते हैं। रैकी ने उनके आत्मविश्वास को कई गुना बढ़ा दिया है। व्यक्तित्व को ही बदल दिया है। वे बताते हैं, ‘शुरुआत में हीलिंग सेशन के दौरान आयुष को अपनी कम उम्र के कारण कुछ चुनौतियां जरूर आईं, लेकिन मैं उम्र को सिर्फ संख्या मानता हूं। अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करता हूं।' यहां तक कि पढ़ाई से भी समझौता नहीं करना चाहते। 12वीं के बाद उन्होंने साइकोलॉजी (स्नातक) में दाखिला लिया है, लेकिन आगे फुलटाइम रैकी के साथ ही जुड़े रहना चाहते हैं।