लॉकडाउन में चाैपट हुआ कारोबार, 6 महीने में 6 लोगों ने मौत को गले लगाया

व्यापार चलाने के लिए सूदखोरों से लिया गया कर्ज ही अब व्यापारियों की जिंदगी निगल रहा है। क्योंकि व्यापारियों ने व्यापार के लिए ऊंची ब्याज दरों पर लॉकडाउन से पहले सूदखोरों से कर्ज तो ले लिया, लेकिन लॉकडाउन लगते ही कर्ज चुका नहीं पाए।

सूदखोरों से लगातार मिल रही धमकियों से व्यापारी डिप्रेशन में चले गए और अंतत: उन्होंने आत्महत्या कर ली। छह महीने में ऐसे छह मामले सामने आए हैं, जिसमें कर्ज के चलते व्यापारियों ने अपनी जान दे दी। एक महीने में ही तीन व्यापारियों ने खुदकुशी की। सूदखोरों की प्रताड़ना व्यापारियों की जान ले रही है, लेकिन पुलिस आत्महत्या के इन मामलों को ।

यही कारण है कि कर्ज के चलते जिन व्यापारियों ने जान दी, उनकी मौत के जिम्मेदारों पर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। यह हालात तब हैं, जब पूरे प्रदेश में एंटी माफिया अभियान चलाया जा रहा है। शहर में भी भू-माफियाओं पर ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही है, लेकिन सूदखोरों को लेकर पुलिस और प्रशासन ने कोई प्लानिंग नहीं की है। जबकि आम लोगों को पैसों के लिए प्रताड़ित करने वाले सूदखोर भी माफिया की श्रेणी में ही शामिल हैं।

5 से 20 प्रतिशत तक का ब्याज न देने पर धमकी और बेइज्जती

शहर में कई सूदखोर हैं जो 5 से 20 प्रतिशत तक ब्याज वसूलते हैं। ब्याज पर पैसा देने वाले एक महीने का ब्याज पहले ही काटकर रकम देते हैं। इसके बाद हर महीने मोटा ब्याज वसूलते हैं। ब्याज न देने पर धमकी देकर कर्ज लेने वाले के घर पहुंचकर हंगामा करते हैं। ऐसे में कर्ज लेने वाला डिप्रेशन में चला जाता है।

सूदखोरों को लेकर पुलिस और प्रशासन की प्लानिंग नहीं

बहोड़ापुर में साइकिल की दुकान चलाने वाले नितिन ओझा ने अपने साथी रामनरेश के साथ मिलकर होम क्रेडिट फायनेंस कंपनी से 1.25 लाख रुपए का लोन व्यापार के लिए लिया था। लेकिन कर्ज लेने के कुछ समय बाद ही लॉकडाउन लग गया। किसी तरह नितिन ने दो किस्तें चुकाईं, लेकिन फिर उसके साथी ने भी किस्त चुकाने से मना कर दिया।

कंपनी के रिकवरी एजेंट की धमकियों से वह डिप्रेशन में चला गया। अंतत: उसने दुकान में ही बीती रात फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।

डीडवाना ओली निवासी निर्मल पुत्र बाबूलाल अग्रवाल(45) किराना कारोबारी थे। दाल बाजार में उनकी दुकान थी। लॉकडाउन से पहले उन्होंने कर्ज लिया था, लेकिन लॉकडाउन में व्यापार नहीं चला और उन्हें व्यापार में घाटा हो गया। वह डिप्रेशन में चले गए।

उन्होंने 10 नवंबर को फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। हालांकि इसमें ऐसा तथ्य सामने नहीं आया कि निर्मल को पैसों के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। लेकिन पुलिस ने इस एंगल पर जांच भी नहीं की।

माधौगंज निवासी व्यापारी दिलीप पुरस्वानी ने नवंबर में खुदकुशी कर ली। उनके परिचितों में चर्चा थी कि उन पर कुछ दिन पहले ही कर्ज चुकाने के लिए दबाव बनाया गया था। लेकिन पुलिस इस मामले में आगे नहीं बढ़ सकी। दिलीप करीब चार महीने से कर्जदारों की वजह से डिप्रेशन में चल रहे थे।

कपड़े का व्यापार करने वाले नरेश नरवरिया निवासी गोला का मंदिर ने जुलाई में फांसी लगाकर खुदकुशी की थी। उनके परिजनों ने बताया कि व्यापार के लिए कर्ज लिया था। लॉकडाउन में कर्ज नहीं चुका पाए, ब्याज बढ़ता गया। इस वजह से परेशान होकर उन्होंने खुदकुशी कर ली।

मौत के जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी

कई सूदखोरों पर कार्रवाई की गई है। जिन लोगों ने आत्महत्या की, उसकी जांच कराएंगे और उनकी मौत के जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी। जब भी ऐसी शिकायत सामने आती है तो कार्रवाई की जाती है।-