रेत अवैध उत्खनन की वजह से चंबल को छोड़ पार्वती कूनों में बना रहे अशियाना, कूनों में छोड़े जायेंगे घडियाल

ग्वालियर. देश की सबसे स्वच्छ नदियों में शामिल चम्बल नदी में तेजी से बढ़ता अवैध उत्खनन व मानवीय हस्तक्षेप अब शांति प्रिय घडियालों को रास नहीं आ रहा है। यही कारण है कि अब घडि़याल चम्बल नदी को छोड़कर पार्वती व कूनों नदियों में अपने नये घरौंदे बनाने लगे हुए हैं। यह खुलासा हुआ मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट के जलीय जीवं वैज्ञानिकों की रिसर्च में। बाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट द्वारा 2017 में जलीय जीवों को गणना के दौरान घडि़यालों की गतिविधियों को दर्ज करने के लिये रेडियो ट्रांसमीटर लगाये थे।
एक्सपर्ट चौके जब घडि़यालों का स्थाई बसेरा कूनो में मिला
एक्सपर्ट तब चौंक गये जब एक मादा घडि़याल का स्थाई बसेरा कूनों में मिला, जहां उसने बाकायदा अंडे भी दिये थे। अब वन विभाग ने कूनो नदी के शांतिप्रिय वातावरण कोघडि़यालों के अनुकूल मानते हुए यहां घडि़यालों के बच्चे डिस्चार्ज करने की योजना बनाई है। आपको यहां पर बता दें कि चम्बल सेंचुरी में पार्वती नदी का कुछ हिस्सा शामिल है। चम्बल सेंचुरी में रहने वाले घडि़याल अस्थाई रूप से पार्वती नदी में जाते तो थे लेकिन वह वापिस लौटकर चम्बल नदी में ही आते थे।
2017 में तत्कालीन डीएफओ अंसारी को वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट ने रिपोर्ट में बताया कि घडि़याल 60 किमी अन्दर तक प्रवास करने पहुंच गये हैं, जो प्रथम बार सामने आया। इसके बाद जब 2018 में जलीय जीवों की गणना हुई तो पार्वती नदी में 8 से 9 घोंसले व 19 घडि़याल मिले थे । तब घडि़यालों की संख्या 1400 से बढ़कर 1750 के लगभग दर्ज की गयी थी।
कूनो में छोड़े जाएंगे घड़ियाल
घड़ियालों के लिए कूनो नदी में अनुकूल माहौल को देखते हुए वन विभाग अगली बार घडिय़ालों के बच्चों को कूनो नदी में छोड़ने की तैयारी में है। डीएफओ अमित कुमार निकम ने बताया कि 25 नवंबर को घडिय़ालों को कूनो में डिस्चार्ज करने की तैयारी थी लेकिन अभी इसे पोस्टपोंड कर दिया गया है। अगली बार हम कूनो में घडिय़ालों के बच्चे छोड़ेंगे।