गार्डन में 1 लाख का झूला, पूजाघर सहित 5 जगह लगे हैं एसी और एलईडी स्क्रीन

पांच लाख रुपए रिश्वत लेते पकड़ा गया नगर निगम का सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा निगम की गाेपनीय 22 फाइलें घर पर रखे हुए था। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) की टीम ने विनय नगर स्थित घर की तलाशी में ये सभी फाइलें जब्त कीं हैं। इनमें से कुछ फाइलें ऐसी भी हाे सकती हैं जिनके निगम दफ्तर से गुम हाेने पर अफसराें ने विश्वविद्यालय थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी।
टीम को वर्मा के घर में 33 लाख रुपए कीमत का सामान मिला है। घर के पीछे बने गार्डन में एक लाख रुपए कीमत का स्टील का झूला मिलने के साथ हर कमरे में एलईडी और पूजा के कमरे में भी एसी लगा मिला। अफसर अब नगर निगम से गायब फाइलों के संबंध में जानकारी लेंगे। श्री वर्मा के घर के सभी कमरों में एलईडी लगी थी। मकान की दूसरी मंजिल पर हाल ही में बने कमरों में भी एलईडी लगी थीं। इनमें कोई रहता नहीं था।
घर से जो 15 पेन ड्राइव मिली थी उनमें से 4 खाली हैं। 11 का परीक्षण किया जाएगा। लोकायुक्त में वर्मा के खिलाफ दर्ज एक प्रकरण में लगभग 55 बिंदुओं पर जांच की जा रही है, लेकिन निगम अफसरों से फाइल या दस्तावेज न मिलने का बहाना बनाकर जवाब नहीं भेजा गया। कुछ अन्य प्रकरणों में भी कई फाइलें या दस्तावेज न मिलने का पत्र लोकायुक्त को भेजा गया है।
इन मामलों के दस्तावेज गायब
सालासर मॉल में सिनेमा की 14 मीटर की मंजूरी के बाद गड़बड़ी के मामले में भी वर्मा पर जांच चल रही है। इसके दस्तावेज गायब हैं।
बिड़ला अस्पताल में 1.40 लाख की पेनल्टी पर समझौता करने व वहीं पर 32 लाख की पेनल्टी निकलने के मामले में भी दस्तावेज गायब हैं।
लैंडमार्क होटल में पार्किंग के मुद्दे पर की गई गड़बड़ी के मामले में भी जांच चल रही है।
बैंक खातों और संपत्ति संबंधी दस्तावेज की जांच की जा रही है
प्रदीप वर्मा के घर से बड़ी संख्या में नगर निगम के दस्तावेज मिले हैं। इनमें कुछ फोटो कॉपी भी हैं। इनके संबंध में निगम से जानकारी मांगी जाएगी। यदि भ्रष्टाचार के मामले में लंबित जांच से संबंधित गायब किए दस्तावेज सामने आते हैं तो कार्रवाई की जाएगी। बैंक खातों और संपत्ति संबंधी दस्तावेज की जांच की जा रही है।
-अमित सिंह, एसपी, ईओडब्ल्यू
मिलीभगत: गड़बड़ियाें में दोषी मिला फिर भी कभी नहीं दी गई कड़ी सजा
ग्वालियर | सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा डेढ़ साल से ईओडब्ल्यूओ के टारगेट पर था। ईओडब्ल्यू ने मार्च 2019 में निगम आयुक्त को पत्र भेजकर 12 शिकायतों के संबंध में जानकारी मांगी थी। इनमें सिंधी काॅलोनी में बने संजय आहूजा के भवन को भूखंड दिखाकर परमिशन देने का मामला शामिल है। ये सब मामले विधानसभा तक पहुंचे थे, लेकिन जानकारी भेजने वाले अफसरों ने दस्तावेज न हाेने और अन्य बहाने बनाकर इन मामलाें में कार्रवाई पूरी नहीं होने दी। सिंधी कॉलोनी के मामले में तत्कालीन आयुक्त विनोद शर्मा ने वर्मा को निलंबित कर दिया था।
इन मामलों से नाता रहा
ब्लू लोटस कॉलोनी में संपूर्ण विकास न होने के बाद भी बंधक रखे गए भूखंडों को मुक्त कर दिया गया था। इस मामले में वर्मा की सिर्फ दो वेतन वृद्धि रोकीं।
जड़ेरुआकला वार्ड 20 में पांच मंजिला इमारत को मल्टी स्टोरी कॉम्प्लेक्स बनाने की अनुमति दी।
मुरार के सर्वे नंबर 4065, 4066, 4068 स्थित कॉलोनी पर आठ मंजिला इमारत बनाने की अनुमति पर भी विवाद।
तारागंज में शासकीय बावड़ी पर मल्टी स्टोरी निर्माण की अनुमति दी।
तत्कालीन संभागायुक्त एमबी ओझा ने सिटी प्लानर के पद पर योग्यता के अनुरूप पदस्थापना के लिए पत्र लिखा, लेकिन वर्मा को नहीं हटाया गया।