मास्क-ग्लब्स हुए सस्ते, लेकिन खून को पतला करने वाली दवा महंगी, संक्रमण से बचाव सस्ता लेकिन इलाज महंगा

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए इस्तेमाल किए जा रहे मास्क, हैंड सैनिटाइजर, ग्लब्स और पल्स ऑक्सीमीटर सस्ते हो गए हैं, लेकिन कोविड-19 के इलाज में कारगर दवा लोमॉलिक्यूलरहेपारिन, जो एक इंजेक्शन के फॉर्मेट में आती है, पहले की तुलना में दोगुनी दर पर बिक रही है।

गौरतलब है कि संक्रमण की शुरूआत में 30 से 400 रुपए बिकने वाला अलग-अलग क्वालिटी का मास्क अब मात्र 3 से 10 रुपए में उपलब्ध है। इसी तरह 90 ग्लब्स वाला डिब्बा 500 से 600 तक में मिलता था, लेकिन अब यह 350 रुपए में उपलब्ध है।

100 एमएल हैंड सैनिटाइजर 300 रुपए में मिलता था, लेकिन अब सिर्फ 50 रुपए में उपलब्ध है और 500 एमएल का पैक महज 250 रुपए में बाजार में मिल रहा है। यही नहीं शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा मापने वाला पल्स ऑक्सीमीटर पहले 1100 से 2000 रुपए तक में मिलता था लेकिन अब यह 800 रुपए में उपलब्ध है।

केडीजे हॉस्पिटल के डॉ अरुण तिवारी के मुताबिक, लोमॉलिक्यूलरहेपारिन नाम की है दवा जो इंजेक्शन के फॉर्मेट में आती है, वह कोरोना संक्रमित के शरीर में खून को पतला करती है। यह इंजेक्शन पेट में लगाया जाता है। दवा कारोबारी रवि दुबे बताते हैं की संक्रमण की शुरुआत में 0.4 स्ट्रैंथ वाला यह इंजेक्शन 120 से 130 रुपए में मिलता था लेकिन अब 240 रुपए में मिल रहा है।