चीन की ये वैक्सीन दे रही अच्छे रिजल्ट, 1 लाख लोग वैक्सीनेट, साइड इफेक्ट भी नहीं

चीन की वैक्सीन निर्माता कंपनी 'चाइना नेशनल बायोटेक ग्रुप' (CNBG) ने अपनी कोरोना वैक्सीन को एक सुरक्षित दवा बताया है. वैक्सीन डेवलपर के मुताबिक, अब तक एक लाख से भी ज्यादा लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है. जिन लोगों को वैक्सीन (Corona virus vaccine) के दोनों टीके लगाए गए हैं, उनमें अभी तक किसी तरह के साइड इफेक्ट्स (vaccine sideffects) नहीं दिखे हैं.

एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (AstraZeneca and Oxford vaccine) द्वारा डेवलप वैक्सीन से वॉलंटियर के बीमार पड़ने के बाद चीनी कंपनी ने वैक्सीन के दोनों डोज और इसके 'रीकॉम्बिनेंट एडिनोवायरस वेक्टर वैक्सीन' पर ज्यादा जोर दिया है. वैक्सीन निर्माण में जुटे एक डेवलपर ने बताया कि अब तक एक लाख से भी ज्यादा लोगों को ये वैक्सीन दी जा चुकी है और अब तक किसी में इसके दुष्प्रभाव नहीं दिखे हैं.

चीन के हेल्थ एक्सपर्ट ने कहा, 'चीन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कोविड-19 (Covid-19) के खिलाफ उनकी वैक्सीन बिल्कुल सुरक्षित है. ये उन तमाम पश्चिमी देशों को करारा जवाब है जिन्होंने शुरुआत में वैक्सीन की गुणवत्ता और सुरक्षा पर उंगलियां उठाई थीं.' वैक्सीन की रेस में आगे चल रहा चीन महामारी की रोकथाम और नियंत्रण में बड़ा उदाहरण पेश करने जा रहा है.

CNBG के सलाहकार झोउ सोंग ने बताया कि चीन ने तत्काल उपयोग के लिए तीन वैक्सीन को मंजूरी दी है, जिनमें से दो वैक्सीन CNBG ने ही विकसित किए हैं. ये वैक्सीन हाई रिस्क ग्रुप के मेडिकल स्टाफ, राजनयिक और कर्मचारियों को दिए जाते रहे हैं, जिन्हें विदेश या ज्यादा जोखिम वाली जगहों पर भेजा गया था. वैक्सीन लगने के बाद ये लोग कई महीनों तक विदेश में ही रहे थे.

झोउ ने कहा कि ये वो लोग थे जो महामारी की शुरुआत में पहले से ही विदेशों मे मौजूद थे, वो नहीं जिन्हें हाल ही में विदेश भेजा गया था. कई देशों से इस तरह के मामले सामने आए थे. हजारों संक्रमित लोगों को ये वैक्सीन दिए जाने के बाद विदेश नहीं भेजा गया है, जिससे साबित होता है कि वैक्सीन कितनी प्रभावशाली है.

चीन की 'कैनसिनो बायोलॉजिक्स' के चीफ साइंटिफिक ऑफिसर एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन जैसा मैकेनिज्म इस्तेमाल करने के बावजूद इसकी सुरक्षा पर जोर दे रहे हैं. दोनों में वैक्सीन में एक बड़ा फर्क सिर्फ ये है कि कैनसिनो बायोलॉजिक्स ने ह्यूमन बॉडी के एडिनोवायरस का इस्तेमाल किया है, जबकि एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड ने चिम्पैंजी का एडिनोवायरस इस्तेमाल किया है.

वुहान यूनिवर्सिटी के पैथोजन बायोलॉजी डिपार्टमेंट के यांग झांक्यू ने शुक्रवार को ग्लोबल टाइम्स को बताया कि चीनी वॉलंटियर्स की दी गई ये वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के पहले दो चरणों को सफलतापूर्वक पार कर चुकी है. ट्रायल के पहले चरण जिसमें 'टॉक्सिक एफेक्ट्स' की जांच की गई थी, उसमें भी किसी तरह की दिक्कत सामने नहीं आई.