कानपुर मुठभेड़ पर चिदंबरम का सवाल, रात को अपराधी के गढ़ में क्यों गई पुलिस?

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में गुरुवार रात जिस तरह कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे ने पुलिस टीम पर घात लगाकर हमला किया और एक क्षेत्राधिकारी समेत 8 पुलिसकर्मियों की हत्या की, उसको लेकर अब राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो रही है. पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने इस घटना को लेकर सीधे-सीधे प्रदेश की बीजेपी सरकार पर हमला किया है.

  • यूपी सरकार को शर्म से सिर झुका लेना चाहिए
  • बीजेपी यहां कांग्रेस को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकती

चिदंबरम ने खतरनाक अपराधी के घर सूरज ढलने के बाद जाने के फैसले को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा है कि विश्वास करना मुश्किल हो रहा है कि प्रशिक्षित पुलिस टीम सूर्यास्त के बाद एक कुख्यात अपराधी के इलाके में जाने का फैसला करेगी. त्रासदी पहले से तय थी.

उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट से दो ट्वीट किए हैं. पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'यूपी सभी मायनों में काफी पिछड़ा हुआ है, इसलिए उत्तर प्रदेश की सरकार को शर्म से सिर झुका लेना चाहिए. बीजेपी, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को भी दोष नहीं दे सकती क्योंकि यहां 30 साल पहले 1985-89 तक ही कांग्रेस सत्ता में थी. वो तो यही सोच रही होगी कि किसे दोषी ठहराया जाए?'

वहीं एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'विश्वास करना मुश्किल हो रहा है कि एक प्रशिक्षित पुलिस फोर्स सूर्यास्त के बाद किसी कुख्यात अपराधी को उसी के गढ़ में गिरफ्तार करने जा रही है. त्रासदी पहले से तय थी. हादसे में मरने वाले सभी पुलिसकर्मियों के परिवार वालों के लिए मैं गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं.'

वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कानून व्यवस्था का जिम्मा खुद सीएम के पास है. इतनी भयावह घटना के बाद उन्हें सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. कोई भी ढिलाई नहीं होनी चाहिए. यूपी में कानून व्यवस्था बेहद बिगड़ चुकी है, अपराधी बेखौफ हैं. आमजन-पुलिस तक सुरक्षित नहीं है.

बता दें, गुरुवार देर रात कानपुर के चौबेपुर में पुलिस की टीम दबिश देने गई थी. बिकरू गांव में दाखिल होने से पहले ही बदमाशों ने जेसीबी लगाकर पुलिस के काफिल को रोक दिया, ताकि उनकी गाड़ियां आगे ना जा सके. इसके बाद विकास दुबे और उसके 8 से 10 गुर्गों ने छिपकर छत के ऊपर से पुलिस की टीम पर हमला किया. इस हमले में आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए, जबकि सात पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं.

इस हमले में एक क्षेत्राधिकारी, एक थानाध्यक्ष समेत आठ पुलिस कर्मी शहीद हो गए. मुठभेड़ में पांच पुलिसकर्मी, एक होमगार्ड और एक आम नागरिक घायल हैं, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है.