मनमोहन के मुकाबले मोदी राज में पांच गुना बढ़ा चीन से FDI, मगर अंकुश भी जारी

सरकार की तरफ से आए आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में चीन से भारत आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में भारी गिरावट आई है. लेकिन यह बात गौर करने की है कि चीन से भारत में निवेश के कई रास्ते हैं और इसलिए निवेश का बहुत बड़ा आंकड़ा छिपा रह जाता है. अगर सरकारी आंकड़ों पर ही भरोसा करें तो भी मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार के मुकाबले पिछले पांच साल की मोदी सरकार में चीन से आने वाला एफडीआई पांच गुना बढ़ गया है.

  • सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चीन से FDI में गिरावट आई है
  • चीनी एफडीआई का बड़ा हिस्सा हांगकांग, सिंगापुर से आता है
  • यूपीए और एनडीए दोनों सरकारों में चीनी निवेश पर सख्ती नहीं थी

यह भी कहा जा रहा है कि भारत में होने वाले कुल एफडीआई निवेश में चीन का हिस्सा महज आधा फीसदी है.जानकार कहते हैं ​कि सिंगापुर और हांगकांग के बढ़ते एफडीआई निवेश में बड़ा हिस्सा चीनी निवेश का ही हो सकता है.

चीनी FDI में दो साल में 50% से ज्यादा की गिरावट

सरकार के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में चीन से भारत आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भारी गिरावट आई है. पिछले साल चीन से महज 16.3 करोड़ डॉलर (करीब 1220 करोड़ रुपये) का एफडीआई भारत आया था. इसके पहले 2018-19 में चीन से आने वाले एफडीआई 22.9 करोड़ डॉलर और 2017-18 में 35 करोड़ डॉलर था. यानी पिछले दो साल में चीन से आने वाला एफडीआई करीब आधा हो गया है.

चीनी एफडीआई महज आधा फीसदी

एक अनुमान के अनुसार देश के कुल एफडीआई में चीन का हिस्सा करीब आधा फीसदी ही है. चीन भारत में एफडीआई के मामले में 18वें स्थान पर है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 20 साल में चीन से करीब 2.4 अरब डॉलर का एफडीआई भारत आया है, जिसमें से करीब 1 अरब डॉलर ऑटो सेक्टर में गया है.

साल 2019-20 में भारत में कुल एफडीआई 49.97 अरब डॉलर (उस समय के मुताबिक करीब 3,53,558 करोड़ रुपये का) था. यानी चीन का एफडीआई कुल एफडीआई का महज आधा फीसदी है. भारत में एफडीआई के मामले में शीर्ष देश मॉरीशस और सिंगापुर हैं.

अलग-अलग आंकड़े

चीन से भारत में आने वाले एफडीआई को लेकर भारत सरकार, चीन सरकार और कई थिंक टैंकों के आंकड़े अलग-अलग हैं. बिजनेस टुडे के मैनेजिंग एडिटर राजीव दुबे बताते हैं, 'चीन से आने वाले एफडीआई में समस्या यह है कि सरकार सिर्फ मेनलैंड चीन के आंकड़े देती है, जबकि काफी चीनी एफडीआई हांगकांग या सिंगापुर होकर आता है. चीन से भारत में कुल एफडीआई 18 से 28 अरब डॉलर का हो सकता है.'

खुद चीन सरकार के आंकड़े में यह दावा किया गया था कि चीनी कारोबारियों ने भारत में 8 अरब डॉलर (करीब 60,000 करोड़ रुपये) का निवेश किया है. कई संस्थाएं सिर्फ चीन के आंकड़े देती हैं तो कई इसमें हांगकांग को भी शामिल करती हैं. चाइना ग्लोबल इनवेस्टमेंट ट्रैकर के मुताबिक चीनी कंपनियों ने 2005 से 2020 तक भारत में कुल 30.67 अरब डॉलर (करीब 2.29 लाख करोड़ रुपये) का निवेश किया है.

ब्रुकिंग्स इंडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन की कंपनियों द्वारा भारत में कुल निवेश (मौजूदा और नियोजित) करीब 1.98 लाख करोड़ रुपये का है. चीन की कंपनियों ने बड़े पैमाने पर भारतीय स्टार्टअप में निवेश कर रखा है. इंडियन काउंसिल ऑन ग्लोबल रिलेशंस से जुड़े थिंक टैंक ‘गेटवे हाउस’ की ओर से प्रकाशित एक रिपोर्ट में भारतीय स्टार्टअप्स में 4 अरब डॉलर (करीब 30,000 करोड़ रुपये) के चीनी तकनीकी निवेश का अनुमान लगाया गया है. गेटवे हाउस के मुताबिक भारत में कुल चीनी एफडीआई करीब 6.2 अरब डॉलर है और भारतीय टेक कंपनियों में उनका निवेश करीब 4 अरब डॉलर है.

भारत के टॉप 30 यूनिकॉर्न्स (1 अरब डॉलर से ज्यादा मूल्य के स्टार्टअप्स) में से 18 चीनी फंड से पोषित हैं और तकनीक संचालित हैं. भारत के कई सेक्टर में चीन की करीब 100 कंपनियां कारोबार कर रही हैं.

मनमोहन बनाम मोदी राज में FDI

मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार हो या नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार, दोनों ने चीनी निवेश के आने में हाल तक कोई सख्ती नहीं बरती थी. उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DIPP) के आंकड़ों के मुताबिक 2000 से मार्च 2014 के बीच चीन से भारत आने वाला एफडीआई महज 40.2 करोड़ डॉलर था (2004 तक यह करीब 20 लाख डॉलर ही था). तो 2019-20 के 2.4 अरब डॉलर के आंकड़े को देखें तो इसमें करीब 2 अरब डॉलर यानी करीब 15 हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है.