विदेशी मुद्रा भंडार पर कोरोना का असर, 2008 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट

कोरोना वायरस की वजह से भारत समेत दुनियाभर की इकोनॉमी पस्त नजर आ रही है. इस वायरस ने भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार को भी प्रभावित किया है. रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़े बताते हैं कि 20 मार्च को समाप्त सप्ताह में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 11.98 अरब डॉलर की भारी गिरावट आई और यह 469.909 अरब डॉलर रह गया है.

  • विदेशी मुद्रा भंडार 469.909 अरब डॉलर रह गया है
  • छह महीनों में पहली बार विदेशी मुद्रा भंडार में कमी
  • यह साल 2008 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है

यह साल 2008 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है. वहीं बीते छह महीनों में पहली बार है जब विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है. इससे पहले 20 सितंबर 2019 को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई थी. तब यह 38.8 करोड़ डॉलर घटकर 428.58 अरब डॉलर रह गया था. बता दें कि बीते 6 मार्च को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशीमुद्रा भंडार 5.69 अरब डॉलर बढ़कर 487.23 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया था.

क्या है वजह?

दरअसल, तेजी से फैलते कोरोना वायरस को लेकर अनिश्चितताओं के बीच विदेशी निवेशकों का भरोसा कम हुआ है और ऐसे में पैसे की निकासी के आंकड़े बढ़ गए हैं. इस वजह से 23 मार्च को रुपया 76.15 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक निम्न स्तर को छू गया था.

हालांकि, कोरोना वायरस के वित्तीय प्रभावों को कम करने के लिए सरकार की ओर से तमाम कदम उठाए गए हैं. ऐसे में शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 27 पैसे की मजबूती के साथ 74.89 प्रति डॉलर पर बंद हुआ.

विदेशी मुद्रा भंडार कम होने के मायने

इसका सबसे बड़ा नुकसान देश की इकोनॉमी को होगा. दरअसल, विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सके.

यह भंडार एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखे जाते हैं. आमतौर पर भंडार डॉलर या यूरो में रखा जाता है. बता दें कि आरबीआई साप्ताहिक आधार पर इसके आंकड़े पेश करता है.