भ्रारत की दो टूक- अमेरिकी प्रतिबंध के पालन के लिए अपने आर्थ‍िक हितों का बलिदान नहीं करेंगे

भारत ने दो टूक कहा है कि वह वेनेजुएला, रूस जैसे देशों पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों का पालन तो करना चाहता है, लेकिन इसके लिए वह अपने आर्थ‍िक हितों को नुकसान नहीं पहुंचा सकता. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारत अपनी मजबूती और सामरिक हितों को बनाए रखेगा.  

गौरतलब है कि अमेरिका ने इस साल जनवरी में वेनेजुएला के पेट्रोलियम उद्योग पर काफी सख्त प्रतिबंध लगाए हैं. अमेरिका के इस कदम के बाद कई देशों ने वेनेजुएला से तेल आयात को रोक दिया है, लेकिन हैवी ऑयल के वैकल्पिक निर्यातक कम होने की वजह से भारतीय रिफाइनरी कंपनियां रूस की दिग्गज कंपनी रोसनेफ्ट से वेनेजुएला का कच्चा तेल खरीदती रही हैं.

क्या है वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का तर्क

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक इंटरव्यू में कहा, 'भारत के सामरिक हितों के लिए महत्वपूर्ण मसलों में, हमने अमेरिका से कहा है कि भारत आखिरकार अमेरिका का एक सामरिक साझेदार है और अमेरिका को अपने इस सामरिक साझेदार को मजबूत करना चाहिए, कमजोर नहीं.'  

गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को भारत की जीडीपी ग्रोथ के बारे में अपने अनुमान में कटौती कर दी है. आईएमएफ ने कहा कि अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था सुस्त रहेगी. अप्रैल से जून के बीच भारत की जीडीपी ग्रोथ पिछले छह साल में सबसे कम रही है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत सरकार अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पैकेज और बैंकों के लोन आदि के रूप में 80,000 करोड़ रुपये की सहायता दे रही है.

वेनेजुएला पर प्रतिबंध

गौरतलब है कि इस साल जनवरी में वेनेजुएला में सबसे बड़े राजनीतिक और आर्थिक संकट के बीच अमेरिका ने वहां की तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया. लंबे समय से वेनेजुएला आर्थिक संकट से गुजर रहा है. साल 2014 में तेल के दामों में गिरावट आने की वजह से वेनेजुएला को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा, जिसके बाद वहां के हालात बिगड़ते गए और देश बड़े कर्ज तले दब गया. बता दें कि वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था तेल निर्यात पर ही आधारित है.