बजरंगबली से जुड़ें ये है 10 रहस्य

31 मार्च को हनुमान जयंती है। हनुमान जी सभी देवों में ऐसे देवता है जो अपने भक्तों के द्वारा प्रसन्न करने पर बहुत जल्द खुश हो जाते है। भक्तों के हर कष्ट को बस नाम लेने से ही हर लेते हैं भगवान हनुमान। भगवान हनुमान आज भी इस पृथ्वी पर जीवित स्थिति में भ्रमण करते हैं। पवन पुत्र बजरंगबली के जीवन के कुछ ऐसे रहस्य हैं जिनके बारें में शायद आपको नहीं मालूम होगा। हनुमान जयंती के मौके पर आइए जानते है उनके जीवन की 10 रहस्यमयी बातें।

हनुमानजी के गुरू
हनुमानजी मातंग ऋषि के शिष्य थे। वैसे तो हनुमान जी ने कई लोगों से शिक्षा ली थी। सूर्यदेव और नारदजी के अलावा इन्होंने मातंग ऋषि से भी शिक्षा-दीक्षा ली थी। कहते है मातंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमानजी का जन्म हुआ था। ऐसी मान्यता है श्रीलंका के जंगलों में मंतग ऋषि के वंशज आदिववासी से हनुमान जी प्रत्येक 41 साल बाद मिलने आते है।

हनुमानजी और भगवान राम के बीच का युद्ध
हनुमान जी ने अपने प्रभु राम के साथ युद्ध भी किया था। दरअसल एक बार भगवान राम के गुरु विश्वामित्र किसी कारणवश हनुमानजी से नाराज हो गए और उन्होंने रामजी को हनुमान जी को मौत की सजा देने को कहा। भगवान राम ने ऐसा किया भी क्योंकि वह गुरु की आज्ञा नही टाल सकते थे, लेकिन सजा के दौरान हनुमान जी राम नाम जपते रहे और उनके ऊपर प्रहार किए गए सारे शस्त्र विफल हो गए।

हनुमान जी के भाई थे भीम
हनुमानजी पवन पुत्र है। कुंती ने भी पवनदेव के माध्यम से ही भीम को जन्म दिया था। इस तरह से भीम हनुमान जी भाई हुए।

माता दुर्गा के सेवक है हनुमानजी
राम भक्त हनुमान माता जगदम्बा के सेवक हैं। हनुमानजी माता के आगे-आगे चलते हैं और भैरवजी उनके पीछे-पीछे। माता के देश में जितने भी मंदिर है वहां उनके आसपास हनुमानजी और भैरवजी का मंदिर जरूर होते हैं।

पहला हनुमान स्तुति
हनुमान जी प्रार्थना में तुलसीदासजी ने हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान बहुक आदि अनेक स्तोत्र लिखे लेकिन क्या आप जानते हैं सबसे पहले हनुमानजी की स्तुति किसने की थी? दरअसल सबसे पहले विभीषण ने हनुमानजी की शरण लेकर उनकी स्तुति की थी। विभीषण को भी हनुमानजी की तरह चिरंजीवी होने का वरदान मिला है। वे भी आज सशरीर जीवित है। विभीषण ने हनुमानजी की स्तुति में एक बहुत ही अद्भुत और अचूक स्तोत्र की रचना की है।

ब्रह्राास्त्र था हनुमानजी पर बेअसर
हनुमानजी के पास कई वरदानी शक्तियां थीं लेकिन फिर भी वे बगैर वरदानी शक्तियों के भी शक्तिशाली थे। अशोकवाटिका पर उन पर ब्रह्राास्त्र का प्रयोग बेअसर था।

पहली रामायण हनुमानजी ने लिखी
रामायणलंका कांड शुरू होते ही हनुमान जी ने हिमालय जाकर पत्थरों पर अपने नाखूनों से रामायण लिखनी शुरू कर दी थी। जब रामायण लिखने के बाद बाल्मीकि जी को ये बात हिमालय जाने पर पता चला तो वह हिमालय गए और वहां पर लिखी रामायण पढ़ी मिली।

कैसे पड़ा नाम हनुमान
अपनी ठोड़ी के आकार के कारण से इनका नाम हनुमान पड़ा। संस्कृत में हनुमान का मतलब होता है बिगड़ी हुई ठोड़ी।

प्रमुख देव हैं भगवान हनुमान
हनुमानजी 4 कारणों से सभी देवताओं में श्रेष्ठ हैं। पहला कारण यह है कि सभी देवताओं के पास अपनी शक्तियां हैं। हनुमानजी के पास खुद की शक्ति है। वे खुद की शक्ति से संचालित हैं। दूसरा कारण, शक्तिशाली होने के बावजूद ईश्वर के प्रति समर्पित हैं। तीसरा कारण वे अपने भक्तों की सहायता तुरंत ही करते हैं और चौथा कारण वे आज भी सशरीर हैं।

हनुमान पिता भी हैं
हनुमान जी को सभी ब्रह्मचारी के रूप में जानते हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका मकरध्वज नाम का एक बेटा भी था।