14 से गुप्त नवरात्र, पूजा-अर्चना करने से विशेष लाभ

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकम तिथि के साथ 14 जुलाई को गुप्त नवरात्र प्रारंभ होने जा रहे हैं। इस बार नवरात्र में पुष्य नक्षत्र के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। क्योंकि नवरात्र की शुरुआत जहां पुष्य नक्षत्र में होगी, वहीं 21 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि योग, रवियोग व अमृत सिद्धि योग में नवरात्र का समापन होगा। सभी शुभ योग होने के कारण इस बार नवरात्र पर विशेष पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति की जा सकती है।
इस साल एकम व दूज एक साथ पड़ने के कारण नवरात्र महोत्सव 8 दिवसीय रहेगा। हालांकि गुप्त नवरात्र का महत्व आम लोगों की अपेक्षा साधु-संत व तांत्रिकों के लिए अधिक माना जाता है, क्योंकि गुप्त नवरात्र तंत्र साधना के लिए अहम होते हैं। इन दिनों में साधु संतों व तात्रिकों द्वारा मां भवानी की विशेष आराधना की जाती है। सिद्धि प्राप्त करने के लिए साधुओं द्वारा दिन रात हवन आदि किए जाते हैं। हालांकि साधुओं की यह तंत्र साधना सार्वजनिक न होकर एकांत में की जाती है।
शास्त्रानुसार साल में चार नवरात्र मनाई जाती हैं। लेकिन चार में से 2 नवरात्र गुप्त रहती हैं एवं दो प्रगट। गुप्त नवरात्र में सार्वजनिक तौर पर पूजा-अर्जना उस तरह नहीं की जाती जैसे प्रगट नवरात्र में होती है। अश्विन एवं चैत्र में प्रगट नवरात्र महोत्सव मनाया जाता है, वहीं आषाढ़ और माघ माह में गुप्त नवरात्र मनाई जाती है। चारों नवरात्र शुक्ल पक्ष में एकम से नवमी तिथि तक रहती हैं। आषाढ़ एवं माघ की नवरात्र में विवाह आदि मांगलिक कार्य शुभकारी माने जाते हैं। मनोकामना पूर्ति के लिए ग्रहस्थ लोग भी मां का व्रत गुप्त नवरात्र में रखते हैं।
पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ समय
स्थिर लगन सुबह 7.49 से 10.01 बजे तक सिंह, दिन 2.27 से 4.44 बजे तक वृश्चिक, रात 8.36 से 10.09 बजे तक कुंभ