कारों की बिक्री में क्यों हो रही भारी गिरावट? इंडस्ट्री की हालत खराब

ऑटो सेक्टर की हालत बेहद खराब है और कारों सहित अन्य वाहनों की बिक्री में लगातार गिरावट आ रही है. गिरावट का सिलसिला करीब एक साल से जारी है. पिछले तीन महीने में करीब 2 लाख नौकरियां जाने की खबर है.

ऑटो सेक्टर की हालत बेहद खराब है और कारों सहित अन्य वाहनों की बिक्री में लगातार गिरावट आ रही है. गिरावट का सिलसिला करीब एक साल से जारी है. जुलाई महीने में कारों की बिक्री में करीब 30 फीसदी की गिरावट आ गई है. इसकी वजह से छंटनी का भी दौर शुरू हो गया है, पिछले तीन महीने में ऑटो डीलरशिप्स से करीब 2 लाख नौकरियां जाने की खबर है. आख‍िर क्यों हो रहा है ऐसा? आइए इसे समझते हैं.

जुलाई में देश की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया की बिक्री में 36 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है. लगातार घटती बिक्री की वजह से कंपनी ने 1,000 अस्थायी कर्मचारियों की छंटनी कर दी है और नई भर्तियों को रोकने की योजना बनाई है. होंडा कार्स की बिक्री में तो 49 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है. फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के अनुसार, भारत में पिछले तीन माह के दौरान ऑटोमोबाइल डीलरशिप स्टोर से 2 लाख लोगों को नौकरियों से निकाला गया है.

क्यों हो रही बिक्री में गिरावट

अर्थव्यवस्था की सुस्ती, नकदी के संकट की वजह से लोन मिलने में मुश्किल, ग्रामीण मांग में इजाफा न होने और पुराने वाहनों के संगठित बाजार के विकास को नए वाहनों की बिक्री में गिरावट की मुख्य वजह माना जा रहा है. पिछले करीब एक साल से कारों और अन्य वाहनों की बिक्री में गिरावट का सिलसिला जारी है. सबसे बड़ी वजह तो यही है कि IL&FS जैसे वाकयों से गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के पास नकदी का संकट है और इसलिए ऑटो लोन मिलने में दिक्कत आ रही है.

इसके अलावा अर्थव्यवस्था में सुस्ती, वेतन या आय में खास बढ़त न होने की वजह से लोग भी वाहन खरीदने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे. इसके अलावा, जीएसटी रेट में कमी की उम्मीद, जनवरी से मार्च 2020 में BS-IV से BS-VI मानक की ओर जाने के बाद के बाद दाम में कमी आने की उम्मीद और त्योहारी सीजन में डिस्काउंट मिलने की उम्मीद में बहुत से लोगों ने वाहन खरीदने की अपनी योजना को फिलहाल टाल दिया है.

हर तरफ है गिरावट

ऐसा नहीं कि सिर्फ कारों की बिक्री में गिरावट हो रही हो. गिरावट ऑटो सेक्टर के हर सेगमेंट में देखी जा रही है. इं‍ड‍ियन एक्सप्रेस के अनुसार, जून 2019 की तिमाही में यात्री वाहनों की बिक्री में 18.4 फीसदी की गिरावट देखी गई, तो कॉमर्शियल वाहनों के सेगमेंट में भी 16.6 फीसदी की गिरावट देखी गई. इसी प्रकार दो पहिया वाहनों की बिक्री में भी 11.7 फीसदी की गिरावट देखी गई. पैसेंजर वाहनों के मामले में तो जून 2019 ऑटो इंडस्ट्री के लिए पिछले 18 साल की सबसे खराब तिमाही साबित हुई है.

यहां तक कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था का संकेत देने वाला ट्रैक्टर उद्योग की इससे अछूता नहीं रह पाया है. ट्रेंड से अलग चलते हुए मार्च 2019 को खत्म वित्त वर्ष में ट्रैक्टर इंडस्ट्री ने लगातार तीसरे साल दो अंकों की बढ़त दर हासिल की थी, लेकिन उसके बाद से इसमें गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया और जून में ट्रैक्टरों के उत्पादन में अब तक की सबसे बड़ी मासिक गिरावट (32 फीसदी) देखी गई है.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुस्ती है और मॉनसून की बारिश उम्मीद से कम हुई है. रबी की पैदावार तो उम्मीद से कम होने के संकेत मिल ही रहे हैं, खरीफ की बुवाई भी उम्मीद के मुताबिक नहीं हो पाई है. इन सब वजहों से ट्रैक्टर की बिक्री पर असर पड़ा है. इसी प्रकार ट्रकों के मामले में सरकार ने एक्सल लोड मानक में बदलाव किया है, इससे कॉमर्श‍ियल वाहनों की बिक्री पर असर पड़ा है.