NaMo TV को चुनाव आयोग ने माना राजनीतिक विज्ञापन, BJP को देनी होगी खर्च की जानकारी

लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के प्रचार के तरीकों पर चुनाव आयोग लगातार सख्त रुख अपना रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर बना NaMo TV एक बार विवादों के घेरे में है. चुनाव आयोग ने इसको लेकर सख्ती दिखाई है और भारतीय जनता पार्टी से जवाब मांगा है. इतना ही नहीं NaMo TV को चुनाव आयोग एक राजनीतिक विज्ञापन की श्रेणी में रख रहा है.
सूत्रों की मानें तो आचार संहिता लागू होने के बाद दूसरे राजनीतिक दलों के विज्ञापनों की तरह इसे भी आयोग से मंजूरी लेनी चाहिए. यही कारण है कि ये कोई टेलिविज़न चैनल नहीं बल्कि एक राजनीतिक विज्ञापन माना जाएगा.
आयोग इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी से सवाल भी करेगा और इसपर होने वाले पूरे खर्च की जानकारी सालाना ऑडिट रिपोर्ट में शामिल करनी होगी. हालांकि, भाजपा पहले ही ये मान चुकी है कि उसने इस चैनल पर होने वाले खर्च का ब्योरा ऑडिट रिपोर्ट में दिया है.
इसके लिए चुनाव आयोग ने दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति द्वारा NaMo टीवी सामग्री को प्रमाणित करने के लिए नियुक्त किया है. NaMo TV पर आने वाली सभी विज्ञापन को इस कमेटी से होकर गुजरना होगा.