यूपी में गठबंधन से बाहर रहकर भी क्या सपा-बसपा के साथ है कांग्रेस?

उत्तर प्रदेश में भले ही बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को अपने गठबंधन से आउट कर दिया हो, लेकिन कांग्रेस ने अपने कुछ प्रत्याशियों का चुनाव ऐसे किया, जो गठबंधन को मदद पहुंचाने की ओर इशारा कर रहा है. खासकर, पश्चिम यूपी में ऐसी तस्वीर उभरकर आ रही है, जहां कांग्रेस ने ऐसे प्रत्याशी उतारे हैं जो सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी के मतों का बंटवारा करने वाले माने जा रहे हैं. इन सीटों में मेरठ, कैराना, रामपुर, मथुरा और गाजियाबाद शामिल हैं, जहां से कांग्रेस ने बीजेपी प्रत्याशी के वर्ग या समुदाय का ही प्रत्याशी उतारकर जातिगत समीकरण साधने के प्रयास किए हैं.

पश्चिम यूपी की सबसे लोकप्रिय सीट मेरठ है, जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकसभा चुनाव प्रचार का आगाज किया है. यहां से सपा-बसपा गठबंधन के खाते से बसपा के टिकट पर हाजी याकूब कुरैशी मैदान हैं, और उनका सीधा मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी व सिटिंग सांसद राजेंद्र अग्रवाल से है. कांग्रेस ने भी मेरठ सीट से अग्रवाल समाज का प्रत्याशी उतारा है और हरेंद्र अग्रवाल को टिकट दिया है.

जाट बाहुल्य कैराना सीट पर भी कांग्रेस ने ऐसा ही प्रत्याशी उतारा जो बीजेपी के लिए नुकसानदायक बन सकता है, जिसका फायदा सिटिंग सांसद और गठबंधन उम्मीदवार तबस्सुम हसन को मिल सकता है. कांग्रेस ने इस सीट से हरेंद्र मलिक को टिकट दिया है, जो एक जाट नेता हैं. हालांकि, पिछले साल यहां हुए उपचुनाव में तबस्सुम हसन जाटों के समर्थन वाली आरएलडी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और उसमें उन्हें जाट समुदाय का वोट भी मिला था.

सिर्फ बसपा या सपा उम्मीदवार ही नहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी गठबंधन के तीसरे घटक आरएलडी को भी लाभ पहुंचाते दिख रहे हैं. सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन में मथुरा सीट आरएलडी के खाते में गई है और यहां से कांग्रेस के टिकट पर अपर कास्ट उम्मीदवार महेश पाठक चुनाव लड़ रहे हैं. माना जा रहा है कि महेश पाठक इस सीट पर सामान्य वर्ग के मतों में सेंधमारी कर सकते हैं, जिससे बीजेपी प्रत्याशी हेमा मालिनी को नुकसान पहुंच सकता है. दूसरी तरफ आरएलडी प्रत्याशी कुंवर नागेंद्र सिंह को जाट, मुस्लिम और जाटव मतों का समर्थन मिलने की उम्मीद है.