तो क्या 23 मई को नहीं 24 मई तक आएंगे चुनाव नतीजे?

इस बार का आम चुनाव खास है. खास इसलिए नहीं कि विपक्षी दलों ने एकजुटता दिखाते हुए नरेंद्र मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया है. खास इसलिए भी है कि पहली बार कम से कम 50 फीसदी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वैरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियों का मिलान किए जाने की बात चल रही है. अब तक होता रहा है कि मतगणना के दिन ईवीएम में पड़े वोटों के मुताबिक प्रत्याशियों की जीत-हार का ऐलान हो जाता है. 4 से 6 घंटे या एक दिन में उम्मीदवार की हार जीत तय हो जाती है. इस बार ऐसा होने की संभावना कम है क्योंकि वीवीपैट का मसला आगे बढ़ता है तो मिलान में ज्यादा वक्त लगेगा और गणना के नतीजे देर से आएंगे.     

ईवीएम और वीवीपैट के मिलान का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है जिस पर 1 अप्रैल को सुनवाई होनी है. हालांकि शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को 28 अप्रैल तक अपनी राय देने की तारीख मुकर्रर की है. इसके लिए आंध्र देश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है. याचिका में ईवीएम और वीवीपैट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया गया है. विपक्षी दल पहले भी ईवीएम पर सवाल उठाते रहे हैं लेकिन इस बार मामला गंभीर हो गया है. लिहाजा याचिकाकर्ताओं ने निष्पक्ष चुनाव के लिए कम से कम 50 फीसदी ईवीएम और वीवीपैट का मिलान किए जाने की गुहार लगाई है.