कैबिनेट में फूटा ऊर्जामंत्री का गुस्सा-ग्वालियर में नरक जैसी स्थिति, कलेक्टर और निगमायुक्त नहीं सुन रहे

भोपाल. कैबिनेट के पश्चात सीएम डॉ. मोहन यादव के साथ शुरू हुई अनौपचारिक बैठक में ऊर्जा मंत्री प्र्रद्युम्नसिंह तोमर का गुस्सा फूट पड़ा। प्र्रद्युम्नसिंह तोमर ने कहा कि ग्वालियर शहर की हालत नरक जैसी हो गयी है। चारो ओर अव्यवस्था है, न नगर निगम के आयुक्त सुन रहे न ही कलेक्टर, सीएम सचिवालय (सीएमओ) के अलावा कहीं सुनवाई नहीं है। प्र्रद्युम्नसिंह तोमर के अचानक इस तरह बोलनेपर सीएम ने कहा है कि इस संबंध में अलग से कैबिन में बात कर सकते हैं। लेकिन प्र्रद्युम्नसिंह तोमर नहीं रूके। इस बार जब ग्वालियर प्रभारीमंत्री तुलसी सिलावट से पूछा गया तो उन्होंने भी प्र्रद्युम्नसिंह तोमर की बात का समर्थन करते हुए कहा है कि वाकई में ग्वालियर स्थिति ठीक नहीं है। सिलावट के यह कहने के बाद प्र्रद्युम्नसिंह तोमर फिर बोल पड़े कि शहर में सीवर की स्थिति बड़ी दयनीय है। सड़कों पर पानी फैल रहा है। सीवर चेम्बर खुले पड़े हैं। अधिकारी कुछ नहीं कर रहे हैं। यदि हम कुछ करेंगे तो पार्टी फोरम का मामला बन जायेगा। हमारे पास कोई चारा नहीं बचा है। इस पर सीएम ने दोबारा कहा कि अलग से बात करेंगे।
ऊर्जा मंत्री बोले कि-
बातचीत के ही दौरान बिगड़ी हुई व्यवस्थाओं को बनाने के लिये ऊर्जा मंत्री ने सीएम से शहर के लिये विशेष पैकेज के तौर पर 100 करोड़ रूपये देने की भी मांग कर डाली। यह सुनकर सीएम ने अधिकारियों से कहा कि तोमर ने जितनी बतों की उन्हें देख लीजिये।
विभाग करेगा शिकायतों की जांच
ऊर्जा मंत्री की कैबिनेट में नाराजगी के बाद इस मामले को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक भी हुई सूत्रों ने बताया है कि जल्द ही अधिकारियों की एक टीम ग्वालियर जाकर सभी बातों की स्थिति को जानेगी।
जल्द बनें चुनावी कमेटियां-सीएम
अनौपचारिक चर्चा के दौरान सीएम ने कहा हहै कि आने वाले दिनों में मंडी, को-ऑपरेटिव और पंचायतों के चुनाव है। कांग्रेस के दोरान जो संशोधन या नियम बदले गये हैं, उन्हें दुरूस्त करें, जीएडी इस मामले में तत्काल कमेटियां बनाये।
ग्वालियर में हाल बताये कहा कि सड़कों पर गड्डे, अंधेरा, सरकार करें हस्तक्षेप
ऊर्जा मंत्री ने शिकायती अंदाज में कहा है कि सड़कों पर इतने गड्डे हो गये हैं कि लोगों का चलना मुश्किल हो गया है। स्ट्रीट लाइट बन्द होने से मेन रोड व गली-मोहल्लों तक मे ंअंधेरा फैला हुआ है। सफाई व्यवस्था की प्रॉपर मॉनीटरिंग न होने के कारण जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हैं। लोगों को सुविधायें देना हमारी जिम्मेदारी है। प्रदेश सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिये।