युद्ध जैसी स्थिति में भी जारी है राजनीति, उठने लगे हैं सवाल

पाकिस्तान की सरज़मीं पर जब भारतीय वायुसेना अपने लापता पायलट का पता लगाने की कोशिशें कर रही थी और पाकिस्तान विंग कमांडर अभिनंदन का वीडियो जारी कर भारतीय पायलट के अपने कब्जे में होने का दावा कर रहा था, तब देश के गृहमंत्री छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक राजनीतिक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे. देश के लोग पायलट के साथ पाकिस्तानी लोगों की मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते देख रहे थे, और उधर सत्ताधारी दल की ओर से प्रधानमंत्री की सबसे बड़ी वीडियो कॉफ्रेंसिंग- मेरा बूथ, सबसे मज़बूत का विज्ञापन किया जा रहा था. तो दूसरी तरफ पूरा विपक्ष लोकसभा चुनाव के मद्देनजर न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय करने की अपनी पूर्व निर्धारित बैठक संसद परिसर के अंदर कर रहा था.

निःसंदेह भारतीय अर्धसैनिकबलों की शहादत और सीमा पर तनाव के बावजूद राजनीतिक पार्टियों के कार्यक्रमों पर कोई खास फर्क नजर नहीं आया. खासकर, भारतीय जनता पार्टी के कार्यक्रमों को आधार बनाते हुए विपक्ष की ओर से यह आरोप सीधे-सीधे लगाया जा रहा है. विपक्ष का कहना है कि भाजपा और केंद्र सरकार पाकिस्तान के साथ तनाव का राजनीतिक इस्तेमाल करने और चुनाव में इसका फायदा अर्जित करने में जुटी हुई है.

विपक्ष के पास इस आरोप के लिए अपने तर्क हैं. जिस वक्त देश के एक बड़े हिस्से में हवाई सेवाएं ठप्प थीं, कई हवाई अड्डों को हाईअलर्ट पर रखा गया था और सीमापार से ज़ोरदार गोलाबारी हो रही थी, टैंकों तक का इस्तेमाल हो रहा था, गृहमंत्री राजनाथ सिंह का बिलासपुर में राजनीतिक कार्यक्रम पूरा करना विपक्ष के निशाने पर आना ही था.

भारत के कई सीमावर्ती ज़िलों में ताज़ा स्थितियों को लेकर लोगों में चिंता गहराती जा रही है. उनकी जान-माल की सुरक्षा तो एक बड़ा विषय है ही. ऐसे में गृहमंत्री और प्रधानमंत्री का राजनीतिक मंचों पर नज़र आना और राजनीतिक भाषण देना लोगों को नागवार भी गुज़र रहा है.

बुधवार को विपक्षी दलों की बैठक के बाद जो साझा बयान सामने आया है उसमें भाजपा पर यह आरोप लगाया गया है और कहा गया है कि भारत सरकार लापता भारतीय पायलट को पाकिस्तान से भारत सुरक्षित वापस लाने के तत्काल प्रयास करे. हालांकि, विपक्षी दलों की यह मीटिंग लोकसभा चुनाव के मद्देनजर महागठबंधन के हिस्सेदारों में न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लेकर प्रस्तावित थी, लेकिन मौजूदा हालात देखते हुए विपक्ष ने भी सत्तापक्ष पर ताज़ा स्थिति का राजनीतीकरण करने का आरोप लगाते हुए एक तरह की राजनीतिक चाल चल दी है और आगे भी वो इसका राजनीतिक लाभ उठाते नज़र आएंगे.