फंस गए जेलेंस्की, यूक्रेन की NATO में नो एंट्री

कीव: रूस और यूक्रेन के युद्ध को तीन साल होने वाले हैं. यूरोपीय देश यूक्रेन युद्ध को रूस की हार तक चलाने का जोर-शोर से समर्थन कर रहे हैं. लेकिन इन्हें अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रक्षामंत्री पीट हेगसेथ से करारा झटका मिला है. यह झटका किसी सदमे से कम नहीं है. पीट हेगसेथ की बात करें तो उन्होंने साफ कर दिया है कि यूक्रेन को NATO में शामिल होना मुमकिन नहीं है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन को नाटो में शामिल होने के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर रूस और यूक्रेन का युद्ध हुआ ही क्यों? क्योंकि रूस को हमेशा इसी बात का डर रहा है कि नाटो उसके दरवाजे तक पहुंच जाएगा.

हेगसेथ ने कहा कि अमेरिका यूक्रेन में किसी भी कीमत पर अपनी सेना नहीं भेजेगा, चाहें वह शांति के लिए ही क्यों न हो. उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका अब यूक्रेन को हथियार और सहायता नहीं देगा. यूक्रेन को सहायता देने की जिम्मेदारी अब यूरोपीय नाटो सदस्यों की होगी. इसके अलावा उन्होंने कहा कि नाटो में अमेरिका की भागीदारी न्यायसंगत होनी चाहिए, यानी यूरोपीय देशों को अपना योगदान बढ़ाने की जरूरत है. आगे हेगसेथ ने कहा कि यूक्रेन 2014 से पहले वाली अपनी सीमाओं पर नहीं लौट सकता. उनका यह बयान संकेत है कि यूक्रेन को समझौता करना होगा.

ट्रंप ने पुतिन से की बात
नाटो और यूक्रेन को जब पीट हेगसेथ झटके पर झटके दे रहे थे तभी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर बात की. दोनों नेताओं के बीच लगभग डेढ़ घंटे की बात हुई. इस वार्ता का सबसे बड़ा निष्कर्ष यह है कि पुतिन ने यूक्रेन और अन्य सुरक्षा मुद्दों पर अमेरिका के साथ बातचीत शुरू करने की इच्छा जताई है. दोनों नेताओं ने सुरक्षा, ऊर्जा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डॉलर की ताकत पर भी चर्चा की. इसके बाद ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को फोन करके पुतिन के साथ हुई बातचीत की जानकारी दी.