दिल्ली कांग्रेस की कमान फिर शीला दीक्षित के हाथ, कम नहीं हैं चुनौतियां

कांग्रेस ने 80 वर्षीय शीला दीक्षित पर फिर भरोसा जताया है. पार्टी ने उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है. यह दूसरी दफा है जब शीला दीक्षित को संकट के समय दिल्ली की कमान सौंपी गई है. आम आदमी पार्टी से शीला दीक्षित भले ही चुनाव में हार गई हों, लेकिन उनके जाने के बाद पार्टी फिर से खड़ी नहीं हो पाई. दिल्ली में कराए गए विकास कार्यों ने उन्हें एक अलग पहचान दी थी, पार्टी ने दूसरी कतार के नेताओं को खड़ा करने की कोशिश की, लेकिन आलाकमान को महसूस हुआ कि दिल्ली में अगर वापस लड़ाई में आना है तो शीला से बेहतर कोई विकल्प नहीं हो सकता. उनसे जिस तरह की अपेक्षा की जा रही है, उसे देखते हुए उनके सामने चुनौतियां भी कम नहीं होंगी.

सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली में लड़खड़ाती कांग्रेस को फिर खड़ा करना है. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के उस तबके पर कब्जा जमा लिया है जो कभी कांग्रेस का वोट बैंक हुआ करता था. यह चुनौती इसलिए भी बड़ी है क्योंकि आम तौर पर माना जाता है कि कांग्रेस का वोट निम्न मध्य वर्ग और मध्य वर्ग है. लेकिन अरविंद केजरीवाल सरकार ने अपनी पानी-बिजली, मोहल्ला क्लीनिक, स्कूली शिक्षा के ढांचे में सुधारने जैसी पहलों के जरिये कांग्रेस के इस वोट बैंक को साधने की कोशिश की है.