जनजातीय कल्याण सरकार की प्राथमिकता : केंद्रीय गृह मंत्री श्री शाह

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा है कि जनजातीय वर्ग के कल्याण पर अब कई गुना अधिक व्यय किया जा रहा है। यह सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। केन्द्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि जनजातीय संस्कृति के संरक्षण में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक की महत्वपूर्ण भूमिका हैं। जनजातीय संस्कृति से जुड़े साहित्य, लोक संगीत और लोक कलाओं की अपनी विशेषताएँ हैं। अमरकंटक अंचल अनेक दुर्लभ औषधियों को अपनी धरा में समाए हुए है, जो रोग निवारण में अति उपयोगी हैं। अमरकंटक से ही आदि शंकराचार्य जी ने एक बालक से एक विभूति के रूप में जीवन का पथ चुना। यहाँ करोड़ों लोगों की जीवनदायिनी नर्मदा नदी का उद्गम स्थल भी है। विश्वविद्यालय स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों के योगदान को सम्पूर्ण समाज के समक्ष प्रस्तुत करने का माध्यम भी बने।

केन्द्रीय गृह मंत्री श्री शाह आज इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के परिसर में नवनिर्मित शैक्षणिक आवास भवन और कृषि उपज भंडारण गृह के शुभारंभ समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में नई दिल्ली से वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। श्री शाह ने कहा कि एक समय था जब जनजातीय विकास पर इतना जोर नहीं दिया जाता था। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में जनजातीय मंत्रालय की भूमिका महत्वपूर्ण बनी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नवीन शिक्षा नीति से सामर्थ्य, पहुँच, गुणवत्ता, निष्पक्षता और जवाबदेही पर आधारित कार्य पर बल दिया है। जनजातीय विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा नीति का क्रियान्वयन सराहनीय है।

जनजातीय विकास के लिए बजट भी बढ़ा और फोकस भी

केन्द्रीय गृह मंत्री श्री शाह ने कहा कि भारत सरकार ने जनजातीय वर्ग के कल्याण के लिए बजट को बढ़ाने के साथ ही जनजातीय विकास पर फोकस किया है। वर्ष 2013-14 में आदिवासी उपयोजना पर 21 हजार करोड़ रूपये की राशि ही व्यय होती थी, जो बढ़कर 86 हजार करोड़ रूपये हो चुकी है। यह चार गुना वृद्धि है। हर घर नल योजना में सवा करोड़ से अधिक जनजातीय परिवारों तक स्वच्छ पीने का पानी पहुँचा है। यही नहीं 82 लाख से अधिक आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं। देश में 38 लाख जनजातीय बंधुओं के आवास तैयार हुए हैं। किसानों को दी जाने वाली पीएम सम्मान निधि का लाभ भी 3 करोड़ से अधिक जनजातीय वर्ग के किसानों को मिला है। एकलव्य मॉडल स्कूल जो वर्ष 2013-14 में मात्र 278 थे, आज उनकी संख्या बढ़ कर 1418 हो गई है। प्रति विद्यार्थी सालाना व्यय भी मात्र 42 हजार था, जो आज एक लाख 9 हजार तक पहुँच चुका है। शिक्षा पर होने वाले व्यय 1000 करोड़ को 25 सौ करोड़ रूपये तक पहुँचाया गया है।