CM योगी का है 'ड्रीम प्रोजेक्ट' : 31 साल से बंद पड़े गोरखपुर खाद कारखाने को पीएम मोदी 7 दिसंबर को करेंगे दोबारा शुरू

गोरखपुर. 31 साल से बंद पड़े गोरखपुर खाद कारखाने (Gorakhpur Fertilizer Plant) को दोबारा शुरू किया जाएगा. सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adithyanath) के इस ड्रीम प्रोजेक्ट का उद्घाटन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 7 दिसंबर को पूर्वांचल का दौरा करेंगे.

पीएम मोदी 7 दिसंबर को जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर आएंगे, उस दौरान वह गोरखपुर खाद कारखाने के अलावा एम्स गोरखपुर, ICMR के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में स्थापित 9 हाईटेक लैब्स का लोकार्पण भी करेंगे. हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड द्वारा निर्मित इस खाद कारखाने से प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा. इतने बड़े पैमाने पर खाद उत्पादन से देश के सकल खाद आयात में भारी कमी आएगी तो आत्मनिर्भरता का दम भी दिखेगा.

बता दें कि गोरखपुर में 1968 में स्थापित फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के खाद कारखाने को 1990 में हुए एक हादसे के बाद बंद कर दिया गया. एक बार यहां की मशीनें शांत हुईं तो तरक्की से जुड़ी उनकी आवाज को दोबारा सुनने की दिलचस्पी सरकारों ने नहीं दिखाई. 1998 में गोरखपुर से पहली बार सांसद बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने हर सत्र में खाद कारखाने को चलाने या इसके स्थान पर नए प्लांट के लिए आवाज बुलंद की. 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने सांसद योगी आदित्यनाथ की इस मांग पर संजीदगी दिखाई और 22 जुलाई 2016 को नए खाद कारखाने का शिलान्यास कर पूर्वी उत्तर प्रदेश को बड़ी सौगात दी. मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाद कारखाने के निर्माण में किसी तरह की बाधा ही नहीं रह गई, निर्माण कार्य को पंख लग गए. खास बात यह भी है कि यहां पर्यावरण अनुकूल प्राकृतिक गैस आधारित प्लांट लगाया गया है.

इस संयुक्त उपक्रम के अधीन गोरखपुर खाद कारखाने के निर्माण में करीब 8 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है. कारखाना परिसर में 30 करोड़ की लागत से विशेष रबर डैम भी बना है जिस पर गोलियों का भी असर नहीं होता है. एचयूआरएल के इस खाद कारखाने की उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन और प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उत्पादन की है. इसके उत्पादनशील होने से पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार व यूपी से सटे अन्य राज्यों में नीम कोटेड यूरिया की बड़े पैमाने पर आपूर्ति सुनिश्चित होगी. यही नहीं आने वाले दिनों में गोरखपुर में बनी यूरिया से पड़ोसी देश नेपाल की फसलें भी लहलहाएंगी. प्रधानमंत्री के हाथों लोकार्पण से पूर्व कारखाना प्रबंधन 30 नवंबर में उत्पादन का ट्रायल करने जा रहा है.