अफगानिस्तान की 6 प्रांतीय राजधानियों पर तालिबान का कब्जा, भारत ने अपने नागरिकों को बुलाया वापस

नई दिल्ली/काबुल. अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के बढ़ते प्रभाव से हालात बद से बदतर हो रहे हैं. तालिबान ने अब तक 6 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया है. इस बीच भारत सरकार ने अफगानिस्तान के चौथे बड़े शहर मज़ार-ए-शरीफ से अपने राजनयिकों (Indian Diplomats) और नागरिकों को सुरक्षित निकालने का फैसला किया है. इसी कड़ी में अफगानिस्तान के उत्तरी शहर मज़ार-ए-शरीफ से नई दिल्ली के लिए मंगलवार शाम एक विशेष फ्लाइट रवाना होने वाली है.

अफगानिस्तान के बाल्ख और तखार प्रांत में तालिबान लड़ाकों और अफगान सुरक्षाबलों के बीच तेज हुई लड़ाई के बीच यह फैसला लिया गया है. तालिबान ने हाल ही में उत्तरी बाल्ख के कई इलाकों पर कब्जा कर लिया था. अब उसका टारगेट मज़ार-ए-शरीफ है. मज़ार-ए-शरीफ बाल्ख प्रांत की राजधानी और अफगानिस्तान का चौथा सबसे बड़ा शहर है.

दूतावास ने शेयर किए नंबर

मज़ार-ए-शरीफ में भारत के वाणिज्य दूतावास ने इसकी जानकारी दी है. वाणिज्य दूतावास ने जानकारी दी है कि जो भी भारतीय नागरिक विशेष विमान से अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं, वे तुरंत अपने पूरे नाम, पासपोर्ट नंबर, एक्सपायरी डेट के साथ वॉट्सऐप कर दें. इसके लिए दूतावास ने 0785891303 और 0785891301 नंबर भी शेयर किए हैं.

तालिबानी लड़ाकों की ऐबक में एंट्री

इससे पहले तालिबान ने समांगन प्रांत पर कब्जा कर लिया. यहां के डिप्टी गवर्नर सेफतुल्लाह समांगानी ने कहा कि बाहरी इलाके में हफ्तों तक हुई झड़पों के बाद समुदाय के बुजुर्गों ने अधिकारियों से शहर को और अधिक हिंसा से बचाने की गुहार लगाई. इसके बाद विद्रोहियों ने बिना किसी लड़ाई के ऐबक में प्रवेश किया. समांगानी ने कहा, ‘गवर्नर ने शहर से सभी बलों को वापस बुला लिया है. यहां तालिबान का पूरा नियंत्रण हो गया है.’

तालिबान ने देश के बाहरी हिस्सों पर कब्जे के बाद अब प्रांतों की राजधानियों की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है. बीते 5 दिनों में तालिबान उत्तर में कुंदूज, सर-ए-पोल और तालोकान पर कब्जा किया. ये शहर अपने ही नाम के प्रांतों की राजधानियां हैं.

वहीं, दक्षिण में ईरान की सीमा से लगे निमरोज प्रांत की राजधानी जरांज पर कब्जा कर लिया है. उजबेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान सीमा से लगे नोवज्जान प्रांत की राजधानी शबरघान पर भी भीषण लड़ाई के बाद तालिबान का कब्जा हो गया है.

मई के बाद से बिगड़े हालात

अफगानिस्तान में लंबे समय से चल रहे संघर्ष में मई के बाद से नाटकीय बदलाव हुए हैं. मई में अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन ने अगस्त के आखिर तक अफगानिस्तान से पूरी तरह वापसी के चरण की शुरुआत की. पहले अमेरिका ने कहा था कि अफगानिस्तान से सैनिकों की पूरी वापसी 11 सितंबर तक हो जाएगी.11 सितंबर को 9/11 हमले के 20 साल भी पूरे हो रहे हैं. हालांकि, बाद में अमेरिका ने कहा कि 31 अगस्त कर सभी सैनिक लौट आएंगे.

तालिबान का अगला लक्ष्य

विद्रोहियों की निगाह अब उत्तर अफगानिस्तान के सबसे बड़े शहर मजार-ए-शरीफ पर है. तालिबान लगातार अपने कदम बढ़ाने में लगा हुआ है. इस वजह वहां रहने वाले भारतीयों की सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है.

अफगानिस्तान से भारत आने वालों की पूरी मदद की जाएगी

इस बीच सरकार ने संकेत दिए हैं कि अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदू और सिख भी अगर सुरक्षित पनाह के लिए अस्थाई तौर पर भारत आना चाहेंगे, तो उनकी पूरी मदद की जाएगी. हालांकि, सरकारी सूत्रों ने साफ किया कि अभी तक किसी विशेष निकासी अभियान या उड़ानों की कोई योजना नहीं है. क्योंकि अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट से व्यावसायिक उड़ानों की आवाजाही जारी है.

परिवारों का पलायन

तालिबान आतंक फैला रहा है और शांति प्रस्तावों के प्रति ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहा. ऐसे में वहां के लोग जान बचाने के लिए पलायन को मजबूर हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अनुमानित तौर पर अब तक 1.5 लाख लोग अपना घर छोड़ चुके हैं. वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है.

बीते हफ्ते तालिबान ने उत्तरी शहर कुंदुज पर कब्जा कर लिया था. यहां के निवासियों ने कहा कि केंद्र में दुकानें फिर से खुलने लगी थीं, क्योंकि कब्जे के बाद विद्रोहियों ने अपना ध्यान सरकारी बलों पर केंद्रित किया था. अब दुकानें फिर से बंद हो गई हैं.

रेड क्रॉस ने किया 4 हजार लोगों का इलाज

इस बीच रेडक्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति ने कहा कि उसके कर्मचारियों ने हेलमंद और कंधार सहित देशभर में अपने 15 सेंटर्स में इस महीने 4,000 से अधिक अफगानों का इलाज किया है. ये अफगान तालिबानी हमले में घायल हुए थे.

अफगानिस्तान में ICRC के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख एलोई फ़िलियन ने एक बयान में कहा, “हम देख रहे हैं कि घरों को नष्ट कर दिया गया है. चिकित्सा कर्मचारियों और रोगियों को भारी जोखिम में डाल दिया गया है. अस्पतालों, बिजली और पानी के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया गया है.”

एलोई फ़िलियन ने कहा, ‘शहरों में विस्फोटक हथियारों के इस्तेमाल का आबादी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है. कई परिवारों के पास सुरक्षित जगह की तलाश में भागने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. ये सब बंद होना चाहिए.’