ग्वालियर किले की 600 मीटर दीवार रंग-बिरंगी रोशनी से नहाई

ग्वालियर. देशभर में ग्वालियर की पहचान ऐतिहासिक शहर के रूप में होती है क्योंकि यहां ऐतिहासिक विरासत और उनकी वास्तुकला अनोखी है। इस ऐतिहासिक शहर के दर्जे को विश्व मानचित्र पर पहचान दिलाने के उद्देश्य से ग्वालियर स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे है। इसी तारतम्य में फसाड लाइटिंग परियोजना के तहत ग्वालियर के हेरिटेज वास्तुकला को रात की रंगबिरंगी रोशनी के बीच देखा जा सकेगा। दरअसल 13 करोड़ की लागत से शहर की 18 बिल्डिंग में लाइटिंग की जाएगी जो आकर्षण का केन्द्र रहेगी। वर्तमान में इस कार्य की टेस्टिंग की जा रही है।


किले की 600 मीटर की दीवार लगाई लाइटें


प्रथम चरण में र्हदय स्थल महाराज बाडा की ऐतिहासिक इमारतों सहित ग्वालियर किले की लगभग 600 मीटर दीवार पर अत्याधुनिक लाइटें लगाई गई। इस लाइटिंग व्यवस्था को जयपुर, दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतों की तर्ज पर वार्म हेरिटेज लाइटिंग में लगाया गया ताकि शहर की ऐतिहासिक विरासत को एक अलग पहचान मिल सके।


शहर की ये बिल्डिंग जगमग होंगी


टाउन हॉल, एमबीआई बिल्डिंग, एसबीआई मेन बिल्डिंग, पोस्ट ऑफिस, गोरखी गेट, कृष्णा गेट, विक्टोरिया बिल्डिंग, ग्वालियर फोर्ट दीवार, प्रेस बिल्डिंग, एमएलबी, जीवाजी स्टेचू, नदी गेट, मोतीमहल गेट, बैजाताल, लधेड़ी गेट, गोले का मंदिर, जलविहार, पड़ाव पुल।


विशेषज्ञों की टीम ने किया डिजाइन


स्मार्ट सिटी से जुड़े अधिकारियों के अनुसार विरासतों को अत्याधुनिक लाइटिंग से रोशन करने से पहले लाइटिंग के प्रभावों को आर्किटेक्ट, इंजीनियरों, इतिहासकारों सहित विशेषज्ञों की टीम द्वारा डिजाइन किया गया है और इमारत के प्रत्येक दरार और मेहराब पर विशेष प्रकाश और छाया प्रकाश के प्रभाव की जांच करने के लिए भी परीक्षण किया गया था। इस परियोजना की शुरूआत मार्च माह में की गई थी जिसके तहत महाराज बाड़ा में एसबीआई बिल्डिंग का काम पहले ही पुरा कर लिया गया है लेकिन कोरोना की दूसरी लहर और लॉकडाउन की पाबंदियों के चलते सामग्री मिलने में दिक्कत हुई लेकिन अब तेज गति से कार्य चल रहा है।