हरिवंश बने राज्यसभा के उपसभापति
नई दिल्ली। एनडीए उम्मीदवार हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा के उपसभापति पद का चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार बी के हरिप्रसाद को हरा दिया है। हरिवंश को 125 वोट मिले जबकि हरिप्रसाद को 105 वोटों से संतोष करना पड़ा। अगले लोकसभा चुनावों से पहले विपक्ष के लिए ये बड़ा झटका है। हरिवंश का झारखंड से अटूट नाता रहा है।
हरिवंश का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया के सिताब दियारा गांव में हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा सिताब दियारा में ही हासिल की। चूकि लोकनायक जयप्रकाश नारायण इसी गांव के थे लिहाजा हरिवंश पर जेपी का गहरा प्रभाव पड़ा। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से आगे की शिक्षा ग्रहण करने के बाद टाइम्स ग्रुप में ट्रेनी के रूप में जुड़े। बाद में उन्होंने बैंकिंग सेक्टर में हिंदी अधिकारी के रूप में भी काम किया लेकिन समाजवादी विचारधारा के हरिवंश के भीतर बैठा पत्रकार उन्हें कोलकाता खींच लाया। यहां उन्होंने रविवार नामक अखबार में लंबे समय तक सेवा दी। राज्यसभा के उपसभापति पद पर एनडीए के हरिवंश नारायण सिंह चुन लिए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी। मोदी ने मजाकिया लहजे में कहा- अब सबकुछ हरि के भरोसे है।
पीएम ने हरिवंश की तारीफ करते हुए कहा कि, हरिवंश पूर्व पीएम चंद्रशेखर के साथ उस पद पर थे, जहां उन्हें प्रत्येक बात की जानकारी रहती थी। चंद्रेशेखर जी जब इस्तीफा देने वाले थे, उनको (हरिवंश ) को यह बात पहले से पता थी। वे खुद पत्रकारिता से जुड़े हुए थे। लेकिन खुद के अखबार को यह भनक भी नहीं लगने दिया कि पीएम चंद्रशेखर अपने पद से इस्तीफा देने वाले हैं। उन्होंने अपने पद की गरिमा को बरकरार रखा और सीक्रेट को मेंटेन किया।
राज्यसभा के उपसभापति चुनाव में एनडीए को मिली जीत पर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बयान दिया है। उनका कहना है कि, कभी हम विजतेा बनते हैं, कभी हमें पराजय को स्वीकारना पड़ता है। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने अपने संबोधन में कहा- हरिवंश जी पहले एनडीए के प्रत्याशी थे, लेकिन चुनाव जीतने और उपसभापति बनने के बाद यह पूरे सदन के हो गए हैं किसी एक पार्टी के नहीं। वह अपना काम अच्छे से करें, हमारी शुभकामनाएं उनके साथ हैं।
कर्मभूमि रांची से हरिवंश को मिली पहचान
इसी बीच 1989 में रांची से प्रकाशित होने वाले अखबार प्रभात खबर को संभालने की उन्हें जिम्मेदारी मिली। उनके आने से पहले प्रभात खबर कि महज 400 से 500 कॉपियां ही बिकती थी। लेकिन हरिवंश जी ने इस चुनौती को स्वीकार किया और एक सशक्त टीम का गठन कर प्रभात खबर को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उनको करीब से जानने वाले प्रभात खबर के स्थानीय संपादक विजयकांत पाठक ने बताया कि हरिवंश की दूरदर्शिता के हम सभी कायल रहे हैं।
तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेहद करीबी थे हरिवंश
दिल से पत्रकार और दिमाग से राजनीति की गहरी समझ रखने वाले हरिवंश का तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से बेहद करीबी नाता रहा है। प्रधानमंत्री बनने पर चंद्रशेखर ने उन्हें अपना मीडिया एडवाइजर बनाया था। हरिवंश ने कई देशों की यात्राएं की और अपने अनुभव को लेकर किताबें भी लिखी। हरिवंश का अध्यात्म से भी गहरा जुड़ाव रहा है । प्रभात खबर में रहते हुए उन्होंने मानसरोवर की यात्रा की थी।